वेटरनरी अस्पताल में 78 सांपों को पहुंचाया, ऑपरेशन कर चिकित्सकों ने किया इलाज
कोबरा का धागे से सिला था मुंह, कई का फेवीक्विक से किया बंद
वन विभाग से 78 सापों को वेटरनरी चिकित्सकों के पास लाया गया था। इसमें से 42 सांप कोबारा प्रजाति के थे। जबकि 33 धामन, 2 करैत एवं 1 बिशल सांप था। वेटरनरी के चिकित्सकों की टीम ने सांपों के सिले हुए मुंह को खोला। कई सांप घायल भी थे। कुलपति डॉ.एचपी तिवारी के निर्देशन में डब्ल्यूएफएच से डॉ.शोभा जावरे, डॉ.सोमेश सिंह, डॉ. अमोल रोकड़े, डॉ निधी सक्सेना एवं जूनियर डॉक्टरों ने सांपों का ऑपरेशन में सहयोग किया।
युवाओं ने पकड़े सांप
जबलपुर एनिमल वेलफेयर सोसायटी की सदस्य अंकिता पांडे ने बताया कि रेलवे स्टेशन, दमोह नाका, आईएसबीटी, मदन महल, मेडिकल रेन बसेरा में डेरा डाले सपेरों से एक अगस्त की देर रात तक आधा दर्जन और नाग पंचमी के दिन नौ सांपों का रेस्क्यू किया गया। संस्था के सदस्य कृष्णा रजक ने बताया कि रेस्क्यू किए गए 15 सांपों में से 11 सांपों के मुंह सुई धागा से सिले हुए मिले। उनके दांत व विष ग्रंथी भी निकाल दी गई थी। सांपों को करीब चार पांच दिन से भूखा प्यासा रखा गया था। कुछ सांपों के सिर पर चीरा लगाकर उनमें कंकड़ रखकर ग्लू भर दिया गया था, ताकि नागमणि के नाम पर उस पत्थर को महंगे दामों पर बेचा जा सके।
दिनभर धरपकड़
नागपंचमी पर वन विभाग की टीम ने स्टेशन, बसस्टेंड आदि जगहों पर सपेरों की धरपकड़ की। शास्त्री नगर मेडिकल, सगड़ा, नगर निगम रैन-बसेरा, लम्हेटा आदि क्षेत्रों में चार सपेरों को पकड़कर उनके कब्जे से दो कोबरा सांप तीन रैट स्नेक जब्त किए गए। हितकारिणी स्कूल के पास तीन महिलाएं पोटली लेकर बैठी थी। पूछताछ में महिलाओं ने सांप नहीं होना बताया। वनविभाग की रेस्क्यू टीम में डिप्टी रेंजर गुलाब सिंह परिहार एवं सर्चिंग टीम में वनपाल अजय तिवारी शामिल थे। चित्रकूट एक्सप्रेस में 3 सपेरों को पकड़ा गया। इनके पास से काला कोबरा, गेहुअन नाग, घोड़ा पछाड़ एवं पद्म नागिन जैसे सांपों को पकड़ा गया।
वाइल्ड लाइफ प्रेमी युवाओं ने एक दर्जन से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया है। उनमें अधिकतर सांप क्रूरता के शिकार मिले। उन्हें वेटरनरी कॉलेज के रेस्क्यू सेंटर में इलाज के लिए रखा गया है। बाद में उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
– जीएस राजपूत, दल प्रभारी, वन्य प्राणी रेस्क्यू दल
अभी तक 50 से ज्यादा सांप अलग अलग दलों से प्राप्त हो चुके हैं। हमने सांपों के ट्रीटमेंट आदि की तैयारी दो दिन पहले से ही कर ली थी। उचित इलाज के बाद सांपों को वन विभाग को सौंप दिया जाएगा।
– सुमन यादव, प्रभारी संचालक, स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ, वेटरनरी विवि