भोपाल निवासी इन तीनों याचिकाकर्ताओं ने कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रापर्टी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी, जिसके तहत उनकी कुछ संपत्तियों को एनिमी प्रापर्टी घोषित किया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने इस मामले में प्रशासन को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके कारण उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने बताया कि 2017 में एनिमी प्रापर्टी एक्ट-1968 में कुछ संशोधन किए गए थे। इसके तहत प्रभावित पक्ष केंद्र सरकार से अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है और उचित फोरम में जाने का विकल्प मौजूद है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने उक्त निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया।