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नर्मदा के आंचल में मिले दो नए अनूठे फॉल, मन मोह लेगी खूबसूरतीपर्यटन को बढ़ावा देने 100 एकड़ के वनक्षेत्र को दिया जा सकता है खास स्वरूप
विकास की अपार संभावना
बिलखरवा गांव की सीमा से लगे जंगल के बीच दो जलप्रपातों का दृश्य मन मोहने वाला है। गांव के लोग इसे सिद्धेश्वर जलप्रपात के नाम से जानते हैं। यहां पहुंचने के बाद पचमढ़ी का बी फॉल भी फीका सा जान पड़ता है। संस्कारधानी में पर्यटन की अपार संभावनाओं के बीच इस स्थान को भी खूबसूरत रमणीक स्थल में शुमार किया जा सकता है। आसपास करीब 100 एकड़ से ज्यादा वन क्षेत्र है। इसे बेहतर ढंग से विकसित कर इसकी खूबसूरती को निखारा जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि प्राकृतिक रूप से बने इन झरनों का पानी आगे जाकर गौ बच्छा घाट और खर्राघाट पर मिलता है।
यह भी संभव
क्षेत्रीय निवासी कमलेश पटेल कहते हैं, सरस्वती घाट से नर्मदा नदी के किनारे होते हुए खर्राघाट तक रास्ता निकाल दिया जाए तो दोनों जलप्रपात की दूरी महज 900 मीटर रह जाएगी। ऐसे में भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों के लिए दोनों जलप्रपात तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं पर्यटक क्षेत्र में ज्यादा समय बिता सकें गे, जिससे क्षेत्र में पर्यटन कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है। अभी तक पर्यटक भेड़ाघाट में धुआंधार देखने और पंचवटी से स्वर्गद्वारी के बीच नौकाविहार करने के बाद लौट जाते हैं।
ये है पहुंचने का रास्ता
सिद्धेश्वर जलप्रपात पहुंचने के लिए भेड़ाघाट चौराहा से शहपुरा मार्ग पर एक रास्ता बिलखरवा मार्ग पर बने होटल के बायीं ओर से होकर गुजरता है, जो दुर्गम है। इस मार्ग से दोपहिया वाहन के जरिए ही जलप्रपात पहुंचा जा सकता है। जबकि दूसरा मार्ग खैरी गांव से होकर जाता है, इस मार्ग से कार या टैक्सी के माध्यम से भी जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है।