महंगाई की मार: डेयरी संचालकों की मनमानी
सितंबर में बिना चर्चा एकमुश्त बढ़ा दिए 4 से 8 रुपए
हर रोज दो लाख लीटर उत्पादन
फिर भी बिक रहा सबसे महंगा दूध
पांच माह में 10 से 16% बढे़ दाम
डेयरी संचालकों की मनमानी का आलम यह है कि सितंबर महीने में बिना किसी सूचना के 4 से लेकर 8 रुपए तक दूध के दाम बढ़ा दिए। इसका पता उन लोगों से चला जो हर रोज भुगतान करते हैं। महीने में पैसा चुकाने वालों को दाम बढ़ाने के चार दिन बाद जानकारी दी गई। इससे अब लोग परेशान हैं।
शहर में दूध की कीमत गुपचुप और मनमानी तरीके से बढ़ाए जाने से महंगाई से परेशान लोगों के लिए एक और झटके से कम नहीं है। स्थिति यह है कि प्रशासन की ओर से इस बारे में हस्तक्षेप नहीं किए जाने से दूध के दाम को लेकर कॉलोनियों में विवाद की स्थिति बन रही है। कुछ दूधियों की ओर से अगस्त के बिल में भी पैसे बढ़ा दिए गए हैं।
अप्रेल में भी बढ़े थे दूध के दाम
इससे पहले डेयरी संचालकों ने अप्रेल के महीने में दूध के दाम 4 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए थे। तब दाम 64 रुपए लीटर पहुंच गया था। लोगों की नाराजगी के बाद कलेक्टर इलैयाराजा टी ने डेयरी संचालकों के साथ बैठक की थी। आम उपभोक्ता भी बैठक में शामिल हुए थे और विरोध पर 2 रुपए प्रति लीटर दूध के दाम बढ़ाने सहमति बनी थी। दूध के दाम 62 रुपए प्रति लीटर तय हुए थे। लेकिन 15 अगस्त के बाद डेयरी संचालकों ने अलग-अलग इलाकों में दूध के दाम बढ़ा दिए। 1 सितम्बर से कमोबेश सभी डेयरी वालों, वेंडरों, दूधियों ने कीमत बढ़ा दी। लेकिन इस अवधि में प्रशासन ने दूध की कीमत पर नियंत्रण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।
70 रुपए तक वसूल रहे
पांच दिन से शहर में दूध 64 रुपए से लेकर 70 रुपए लीटर तक बिक रहा है। पांच महीने में दूध के दाम में दूसरी बार बढ़ोत्तरी हुई है। दूध की कीमत को लेकर डेयरी संचालक, वेंडर और दूधिये मनमानी पर उतारू हैं। इसके बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। दूध की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना तो दूर की बात प्रशासन के अधिकारी किसी डेयरी, वेंडर काउंटर की जांच करने भी नहीं पहुंच रहे हैं।
खुले दूध पर जीएसटी नहीं फिर भी महंगा
सितंबर महीने में दूध के दाम बढ़ाने का गणित किसी की समझ में नहीं आ रहा है। रेनी सीजन होने के चलते इस मौसम में दूध उत्पादन स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है और चारे की उपलब्धता से लागत भी कम हो जाती है। वहीं, फुटकर बिक्री पर जीएसटी भी नहीं देना पड़ता। जीएसटी देने वाली दुग्ध सहकारी समितियों ने दाम अवश्य बढ़ाए, फिर भी उनके दाम स्थानीय डेयरी संचालकों से कम हैं।
दूध की कीमत बढ़ने का कारण पशुओं की कीमत बढ़ने के साथ पशु आहार, परिवहन में उपयोग होने वाला डीजल महंगा होना है।
– वीरेंद्र सिंह, डेयरी संचालक
दूध की कीमत बढ़ाए जाने का मामला संज्ञान में आया है। उपभोक्तताओं को राहत देने के लिए जो भी प्रयास सम्भव होंगे, किए जाएंगे।
– डॉ. इलैयाराजा टी, कलेक्टर