विष्णुजी अपने दसवें अवतार में कलयुग में कल्कि रूप में अवतरित होंगे। भगवान के दसवें अवतार की शास्त्रों में तिथि भी बताई गई है। इसके अनुसार भगवान कल्कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जन्म लेंगे। इसलिए सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन कल्कि जयंती मनाई जाती है। भगवान विष्णु जी के कल्कि का अवतार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी इस वर्ष 16 अगस्त को है। इस दिन देशभर में कल्कि जयंती मनाई जाएगी।
पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि कल्कि देव का देश के ह्रदय प्रदेश उत्तरप्रदेश में जन्म होगा। पंडित दीक्षित के अनुसार श्रीमद्भागवत-महापुराण में इसका उल्लेख किया गया है। श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद में लिखा है कि – सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मन:।भवने विष्णुयशस: कल्कि: प्रादुर्भविष्यति।। इसके हिंदी अर्थ के अनुसार-शम्भल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे। उन्हीं के घर कल्कि भगवान का अवतार होगा। पंडित जनार्दन शुक्ला के अनुसार भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में धर्म ग्रंथों में विस्तृत वर्णन है। कल्कि भगवान की सवारी घोड़ा होगी। कल्कि भगवान 64 कलाओं से युक्त होंगे। वे पापियों का विनाश कर धर्म की स्थापना करेंगे। इसके साथ ही पुन: सतयुग आ जाएगा।
सुख-समृद्धि देंगे
कल्कि जयंती पर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। संभव हो तो भगवान कल्कि की तस्वीर की भी पूजा करे। फल, फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से पूजा- अर्चना करने के पश्चात आरती करना चाहिए।विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ भी करें।