शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद भोपाल से भेजा गया प्रकरण
जबलपुर•Jun 28, 2019 / 11:25 am•
santosh singh
EOW raid
जबलपुर. भाजपा सरकार में 2003 से 2018 तक मनोनीत विधायक रहीं लोरेन बी लोबो की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। भोपाल में उनके मद के दुरुपयोग सम्बंधी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर प्रकरण को जांच के लिए जबलपुर इओडब्ल्यू को स्थानांतरित किया गया है। गुरुवार को इओडब्ल्यू ने मामले की जांच शुरू कर दी।
वर्ष 2007 से 2018 की शिकायत
पूर्व विधायक लोरेन बी लोबो के खिलाफ दो महीने पहले ईओडब्ल्यू को शिकायत दी गई थी। इसमें पूर्व विधायक पर वर्ष 2007 से 2018 तक स्वेच्छा अनुदान सगे-सम्बंधियों को देने की बात कही गई है। शिकायतकर्ता की ओर से आरटीआइ से प्राप्त जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है।
एक हजार पेज के दस्तावेज
इओडब्ल्यू को शिकायतकर्ता की ओर से एक हजार पेज के दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें पूर्व विधायक लोबो के सगे सम्बंधियों द्वारा संचालित संस्थाओं के दस्तावेज हैं। इन संस्थाओं में भी उनके घर के लोग और रिश्तेदार हैं। संस्थाओं में काम करने वाले वाहन चालकों और अन्य के वेतन का भुगतान भी स्वेच्छा अनुदान राशि से करने के भी साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं।
जांच के दायरे में ये संस्थाएं
पूर्व विधायक लोरेन बी लोबो ने बेटे एलजी लोबो व बेटी लीन डिलायमा की संस्था नोबल वुमन वेलफेयर फोरम, विनिंग एक्सप्रेशन, जेम्स एसोसिएशन, लाभ उन्यन क्रिश्चियन मिशन, सरगम संगीत सेंटर, स्टार क्रिकेट क्लब, सनराइज फुटबॉल क्लब व अन्य को करोड़ों रुपए विधायक निधि से दिए। ईओडब्ल्यू को अब तक की जांच में यह भी जानकारी मिली है कि नाती समायरा, नीतिका और रिश्तेदार मंजरी तली व एडवर्ड डिलायमा की संस्थाओं को भी विधायक निधि से पैसे दिए गए।
इनके खिलाफ भी दर्ज हुई प्राथमिकी
पूर्व सांसद मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणी मालवीय और नारायण सिंह केसरी के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। तीनों सांसदों ने जबलपुर के संबल नामक एनजीओ को सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर सप्लाय के लिए सांसद निधि से करीब 1 करोड़ 62 लाख रुपए देने की अनुशंसा की है। इसमें भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन और बदनियतीपूर्वक पैसे निकालने का आरोप है।
एनजीओ का पता निकला फर्जी
ईओडब्ल्यू ने बुधवार को संबल एनजीओ के जबलपुर स्थित राजूला आर्केड, रसल चौक टीम भेजकर जानकारी हासिल की तो पता चला कि इस पते पर न तो कोई एनजीओ कार्यरत है और न ही एनजीओ संचालक अभय तिवारी को वहां कोई जानना-पहचानता है। दस्तावेजों पर दर्ज एनजीओ का पता फर्जी मिला।
जिला सांख्यिकीय अधिकारी को भी जांच में शामिल किया
सांसद निधि मामले में तीनों सांसदों के जिलों के कलेक्टरों के अलावा जिला सांख्यिकीय अधिकारियों को भी प्राथमिक जांच में शामिल किया गया है। जिला सांख्यिकीय अधिकारियों को स्कूलों में कंप्यूटर सप्लाय के निरीक्षण के लिए तृतीय पक्ष के रुप में निरीक्षण एजेंसी नियुक्त किया गया था। घटिया कंप्यूटर सप्लाय करने के मामले में जिला सांख्यिकीय अधिकारियों ने संतोषजनक रिपोर्ट कैसे पेश कर दी, इसकी भी जांच की जा रही है।
वर्जन-
भोपाल से प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रकरण को जांच के लिए भेजा गया है।
देवेंद्र सिंह राजपूत, एसपी इओडब्ल्य
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