दीपावली में रंगोली से घर आंगन सजाने की पुरानी परम्परा है। भारतीय संस्कृति में रंगोली विशेषता है। लेकिन, पहले के दौर में चावल, आटा, हल्दी, सिंदूर, मेंहदी के पत्ते, टीशू के फूलों का प्रयोग होता था। बदले हुए दौर में रंगोली बनाने के लिए बाजार में संगमरमर की डस्ट और केमिकल्स है।
फल पत्तियां और सब्जियों की रंगोली
रंगोली बनाने में फूलों की पंखुडिय़ा और विभिन्न प्रकार की पत्तियों का प्रयोग किया जा रहा है। सब्जियों में मटर, गाजर, मूली, मिर्च, चुकंदर से ग्रीन एंड कलरफुल रंगोली बनाई जा रही है। यह नेचुरल है। सफाई के बाद रंगोली के पदार्थ को जानवरों को खिला सकते हैं।
संस्कार रंगोली का प्रचलन
पहले हाथों से ही रंगोली बनाई जाती थी लेकिन डिब्बिया, छननी आदि सामानों के माध्यम से रंगोली सजाई जा रही है। इसमें रंगोली जल्दी और आकर्षक तैयार हो रही है। भारतीय संस्कृति परम्परा में संस्कार रंगोली का महत्व है। इसमें रंगोली के माध्यम से शुभ लाभ, स्वास्तिक, चक्र, शंख, लक्ष्मी पद, गदा एवं कमल के फूल आदि बनाए जाते हैं। ये शुभ चिन्ह है। ऐसी रंगोली पूजा स्थल पर महत्वपूर्ण, देखने में आकर्षक होते हैं और सकारात्मक उर्जा प्रदान करती है।
इसलिए खास हो गई पानी की रंगोली
फाइन आर्ट की शिक्षिका शैलजा सुल्लेरे ने बताया, शहरी क्षेत्र में जो मकान छोटे हैं, कम जगह है या टाइल्स और फर्श पर रंगोली का धब्बा बनने की आशंका रहती है। जिस स्थान पर रंगोली बनना है, वहां कार, बाइक रखनी है। ऐसे घरों में बर्तन के पानी में रंगोली बनाने का तरीका पसंद किया जा रहा है। बर्तन की सतह में ऑयल लगाकर पानी भरते हैं तो पानी के ऊपर ऑयल तैरता है और सतर्कता पूर्वक पानी के ऊपर रंगोली सजा दिया जाता है। इसी प्रकार पानी के लकड़ी के कोयला का डस्ट डालकर भी रंगोली बनाई जाती है।