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कोरोना संकट के चलते काम की गति हुई थी धीमी
मौजूदा समय में इस घातक स्वदेशी तोप का परीक्षण ओडिशा राज्य के बालासोर रेंज में किया जा रहा है। परीक्षण के बाद इसे फाइनल टेस्टिंग के बाद सैन्य अफसरों के सामने री-असेम्बल किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के बावजूद जीसीएफ और सैन्य प्रशासन का संवाद जारी रहा। जैसे ही महामारी का असर घटने लगा, धनुष तोप का सैन्य परीक्षण फिर से शुरु कर दिया गया है।
तोप के परीक्षण से बेहद खुश हैं आला अफसर
धनुष तोप ने अपने परीक्षण में सैन्य अफसरों को खासा प्रभावित किया है। इससे पहले इस धनुष तोप का पोखरण, बालासोर समेत अन्य फायरिंग रेंज में अलग-अलग तापमान और परिस्थितियों में परीक्षण हो चुका है, जिसमें इस स्वदेशी तोप ने अपनी सटीक निशानेबाजी और सही टाइमिंग के चलते सैना अधिकारियों को खासा प्रभावित किया है।
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बोफोर्स को स्वदेशी तकनीक से बनाकर तैयार की गई धनुष
जीसीएफ का दावा है कि, स्वदेशी तकनीक पर आधारित धनुष तोप बोफोर्स से भी उन्नत है। धनुष ने अपना दम करगिल युद्ध के दौरान भी दिखाया था, जिसे उस समय की तकनीक के बावजूद सेना ने खासा पसंद किया था। दुर्गम और कठिन स्थितियों में भी इस तोप ने भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त दिलाने में खासा योगदान दिया था। इस बार भारत इलेक्ट्राॅनिक्स लिमिटेड (बीईएल), आयुध निर्माणी कानपुर और अन्य निर्माणियों के सहयोग से जीसीएफ धनुष तोप को तैयार कियाजा रहा है। 114 धनुष तोप की जरूरत सेना ने बताई है। 2020 में 18 धनुष तोप सेना को सौंपने का लक्ष्य है। अब तक 12 तोपें सौंपी जा चुकी हैं। अब इस साल के आखिरी 6 धनुष तोप का लॉट दिसंबर तक पूरा कर दिया जाएगा।
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तोप की ये खूबियां उसे बनाती हैं दूसरी तोपों से खास
स्वदेशी धनुष तोप फुल्ली ऑटोमेटिक सिस्टम पर आधारित है, जिसकी लागत 17 करोड़ के लगभग आई है। ये कीमत दूसरी तोपों के मुकाबले कम है। वजन में भी अन्य तोपों के मुकाबले हल्की होने की वजह से इसे किसी भी दुर्गम स्थान पर ले जाना और इस्तेमाल करना काफी आसान है। इंजनयुक्त होने से पहाड़ी सहित ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी ये आसानी से पहुंचने में सक्षम है। इसकी 38 किमी तक सटीक लक्ष्य साधने की मारक क्षमता है। इसके संचालन पर मौसम का कोई प्रभाव नहीं है। ये किसी भी मौसम और परिस्थिति में अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस देने में सक्षम हैं।