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सुजीत कुमार समेत तीन लोगों ने मप्र हाईकोर्ट में एमपीपीएससी के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि आरोप लगाया था कि राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा 18 फरवरी को परीक्षा ली गई थी। इस पेपर में पांच ऐसे सवाल थे जिनके मॉडल उत्तरों में एक भी सही विकल्प नहीं दिया गया था। जो सही उत्तर बता सके। ऐसे में छात्र चाहकर भी उसे हल नहीं कर सके और उन्हें छोड़ दिया गया। उन सवालों को हल न करने से उनके नंबर अभ्यार्थियों को नहीं मिले। जिससे कुछ छात्रों को उचित नंबर नहीं मिल पाए और उनका चयन नहीं हो सका।
मामले की सुनवाई जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बैंच ने की। जिसके बाद कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से लगाए गए आरोप सही हैं। ऐसे में बुधवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने एमपीपीएससी के परीक्षा परिणामों पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सरकार व एमपीपीएससी से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल 2018 को रखी गई है। याचिकाकर्ताओं का पक्ष एडवोकेट प्रियंकुश जैन ने रखा।