गणपति विसर्जन का वैदिक महत्व
विसर्जन के नियम है कि जल में देवी-देवताओं की प्रतिमा को डुबोया जाता है। इसके लिए श्रद्धालु नदी, तालाब, कुंड, सागर में प्रतिमा को विसर्जित कर सकते हैं। महानगरों में जहां नदी, तालाब तक जाना कठिन होता है वहां लोग जमीन खोदकर उसमें जल भरकर प्रतिमा को विसर्जित कर लेते हैं। अगर आपके पास छोटी प्रतिमा है तो घर के किसी बड़े बर्तन में भी प्रतिमा विसर्जित कर सकते हैं। बस ध्यान रखना चाहिए कि इस जल में पैर न लगे। इस जल को गमले में भी डाल सकते हैं
गणपति बप्पा विसर्जन के नियम
-किसी भी देवी-देवता के विसर्जन की तरह गणपति के विसर्जन का भी नियम है।
-विसर्जन से पहले गणपति की पूजा करें।
-गणेशजी को मोदक, मिठाई का भोग लगाएं।
-गणपति को विदाई के लिए वस्त्र पहनाएं।
-एक कपड़े में सुपारी, दूर्वा, मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणपति के साथ बांध दें।
-विदाई से पहले गणेशजी की आरती करें और जयकारे लगाएं।
-गणेशजी से क्षमा प्रार्थना करके भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।
-पूजा सामग्री और हवन सामग्री जो कुछ भी हो उसे गणेशजी के साथ जल में विसर्जित कर दें।