जबलपुर में ग्वारीघाट के नजदीक स्थित सिद्ध गणेश मंदिर चमत्कारी स्थल के रुप में जाना जाने लगा है। इस शहर में हाईकोर्ट के अलावा एक और ऐसी कोर्ट है, जहां इंसान ही नहीं जज और वकील भी अपनी अर्जी लगाते है। इस अदालत में लोगों के उन मामलों की सुनवाई होती है जिन पर देश की बड़ी-बड़ी अदालतें भी फैसला नहीं कर पाती। इस कोर्ट रुम में जज प्रथम पूज्यनीय विघ्नहर्ता भगवान गजानन है। यहां फैसला खुद भगवान गणपति करते है।
भगवान को सुनाई जाती है अर्जी
सिद्ध गणेश मंदिर के प्रधान पुजारी के अनुसार, गजानन के इस विशेष मंदिर में मजदूर से लेकर कोर्ट के जज तक अर्जी लगाने आते हैं। कोई नौकरी के लिए अर्जी लगाता है तो कोई संतान प्राप्ति के लिए। यानि हर भक्त अपने-अपने स्तर की मनोकामना के लिए रजिस्टर में अपनी अर्जी लिखवाते है। इस अर्जी को मंदिर के पुजारी भगवान गणेश को पढ़ कर सुनाते है। खास बात यह है कि इस कोर्ट रुम में कोर्ट की फीस भी लगती है। फीस के तौर पर एक नरियल भेंट किया जाता है। इस मंदिर में सालभर अर्जीयां लगती है लेकिन गणेश चतुर्थी के दिनों में काफी संख्या बढ़ जाती है।
मंदिर में अर्जी लगाने वालों का पूरा लेखा-जोखा रखा जाता है, इसके लिए रजिस्टर भी बनाए गए हैं। इस रजिस्टर में संबंधित व्यक्ति का ब्यौरा दर्ज किया जाता है, साथ ही उसे नम्बर भी आवंटित किया जाता है। नारियल पर नंबर दर्ज कर उसे संबंधित व्यक्ति की मनोकामना के साथ भगवान गणेश के दरबार में रख दिया जाता है।
इस तरह मंदिर हो गया प्रसिद्ध
बता दें कि साल 2000 में मंदिर का निर्माण शुरु हुआ था। उस समय मंदिर के नजदीक से छोटी रेल लाइऩ की पटरी निकली थी। रेलवे ने ब्रॉडगेज बनाने का ऐलान किया था और मंदिर की जमीन रेलवे की जमीन बन गई। मंदिर निर्माण के बीच प्रशासन ने काम रोकने का नोटिस जारी कर दिया । ऐसे में भगवान के मंदिर की समिति की ओर से भगवान गणेश के सामने अर्जी दी गई और भगवान विध्नहर्ता ने तत्काल अपना कृपा की । प्रस्तावित रेल लाइन यहां से आधा किलोमीटर दूर चली गई। तब से इस मंदिर को मनोकामनापूर्ति वाला स्थान माना जाने लगा प्रधान पुजारी के अऩुसार मंदिर के पास मौजूद अर्जियों के अनुसार अब तक 2 लाख से ज्यादा अर्जियां लगाई जा चुकी है।