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जबलपुर

एल्गिन हॉस्पिटल: मां के दूध से कई कमजोर नवजात वंचित, अटका मदर मिल्क बैंक का निर्माण

एल्गिन हॉस्पिटल: मां के दूध से कई कमजोर नवजात वंचित, अटका मदर मिल्क बैंक का निर्माण

जबलपुरJul 04, 2022 / 10:57 am

Lalit kostha

मदर मिल्क बैंक

जबलपुर। यूनिसेफ और नेशनल हेल्थ मिशन ने एल्गिन हॉस्पिटल में मदर मिल्क बैंक को आकार देने का निर्णय किया था। इसके लिए लगभग आठ माह पहले जोर-शोर से कवायद हुई थी। हॉस्पिटल में पुरानी ओपीडी की जगह को मिल्क बैंक के लिए मुफीद पाया गया था। लेकिन जांच, जगह और बजट तय होने के बाद भी योजना धरातल में नहीं आ सकी है। जबकि यह मिल्क बैंक प्रीमैच्योर डिलेवरी वाले शिशुओं के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकता है।

योजना में ये होना था
●5 नर्स और 1 सुपरवाइजर का स्टाफ।
●फीडिंग, स्टोरेज कक्ष व कलेक्शन सेंटर।
●10 लीटर तक ब्रेस्ट मिल्क का स्टोरेज।
●6 माह तक दूध का सुरक्षित स्टोरेज।
●8 लाख रुपए से इसके लिए उपकरण।

कमजोर शिशु का जन्म:
●30-40 प्रसव प्रतिदिन होते है। इसमें 20 प्रतिशत केस में कमजोर बच्चे का जन्म।
●40 बच्चे एसएनसीयू में हर समय इलाज के लिए भर्ती रहते हैं।

रक्त अल्पता की समस्या
●20 प्रतिशत गर्भवती एवं प्रसूता के शरीर में में 7-10 प्रतिशत हीमोग्लोबिन होता है।
●10 प्रतिशत गर्भवती एवं प्रसूता सीवियर एनीमिक रहती है।
नोट: एल्गिन हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की स्थिति के अनुसार।

 

मां को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के कारण ब्रेस्ट मिल्क से वंचित नवजात को बेहतर पोषण के लिए दूसरी मां का दूध उपलब्ध कराने की मदर मिल्क बैंक योजना अटक गई है। इस महत्वपूर्ण योजना के लिए शहर में एल्गिन हॉस्पिटल को चुना गया था। भोपाल से आए नेशनल हेल्थ मिशन के इंजीनियरों ने हॉस्पिटल में निरीक्षण के बाद उपयुक्त जगह का चयन भी कर लिया था। अब उसी जगह को कम बता दिया गया है। इससे मिल्क बैंक का निर्माण अधर में है। बैंक के नहीं बनने से कई कमजोर नवजात मां के दूध से वंचित है।

डिब्बा बंद दूध से मुक्ति… कई केस में मां को शारीरिक समस्या के कारण वह अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती है। इसकी प्रिमैच्योर डिलेवरी, ब्रेस्ट में मिल्क ना बनना एवं कुछ अन्य वजह होती है। नवजात को डिब्बाबंद दूध दिया जाता है। नवजात को मां का दूध नहीं मिलने से कई पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे कमजोर होने के साथ कई बीमारी घेरने का खतरा रहता है। मदर मिल्क बैंक में ऐसी मां जिनका ब्रेस्ट मिल्क ज्यादा होता है, वे स्वेच्छा से मिल्क दान कर सकती है। इसे वैज्ञानिक तरीके से प्रिजर्व करके उन शिशुओं को देने की योजना है जिन्हें मां का दूध नहीं मिल रहा है।

दूसरे अस्पतालों को भी मिलता है फायदा- एल्गिन में खुलने वाले मदर मिल्क बैंक में अस्पताल में भर्ती जरुरतमंद शिशुओं को नि:शुल्क ब्रेस्ट मिल्क उपलब्ध होता। शहर के दूसरे अस्पतालों में भर्ती नवजात को भी आवश्यकता होने पर ब्रेस्ट मिल्क इस बैंक से दिया जाना था।

कमजोर शिशु के लिए दवा है मां का दूध- विशेषज्ञों के अनुसार कमजोर शिशुओं के लिए ब्रेस्ट मिल्क दवा की तरह काम करता है। अस्पताल में भर्ती कुछ गंभीर नवजात एवं शिशु, जो मां के दूध से वंचित थे, उन्हें जरुरत पर स्वेच्छा से कुछ प्रसूताओं ने ब्रेस्ट फीडिंग कराई है। इसमें देखा गया कि ब्रेस्ट मिल्क से शिशु की सेहत जल्दी बेहतर हुई है।

एल्गिन हॉस्पिटल में मदर मिल्क बैंक बनाना प्रस्तावित है। ये एनएचएम और यूनिसेफ की योजना है। इसके लिए निरीक्षण किया जा चुका है। विभागीय स्तर पर कार्रवाई जारी है।

डॉ. संजय मिश्रा, क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य विभाग

 

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