दरअसल, रांझी इलाके की समस्या यह है कि मगरमच्छ कहीं से रेस्क्यू किया जाए पर छोड़ा पास की परियट नदी में ही है। इससे वहां अच्छी खासी संख्या हो गई है। नदी के ओवरफ्लो होते ही मगरमच्छ नानक नगर बस्ती के करीब तक आए और अब वहीं पर ठिकाना बना लिया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गुरुवार को पकड़े जाने के बाद भी अभी तीन मगरमच्छ इसी क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। नानक नगर से गुजरने वाले नाले के जरिए मगरमच्छ बस्ती तक पहुंच रहे हैं। नाले के पानी को खाली करा दिया जाए तो समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। यहां तक आने-जाने के लिए एक ही मार्ग है। इसलिए भी दहशत में लोग जी रहे हैं। खाली जगह पर घरों के पानी की निकासी होने के चलते रेस्क्यू की समस्या बढ़ी है।
क्षेत्रीय लोगों ने इसकी शिकायत की थी। खाली जगह से पानी निकालने के लिए व्यवस्था कर रहे हैं।
– सावित्री शाह, स्थानीय पार्षद
कई और मगरमच्छ होने की लोगों ने पुष्टि की है। पानी और कीचड़ जमा होने कारण क्षेत्र में रेस्क्यू नहीं किया जा सकता है।
– धनंजय घोष, रेस्क्यू प्रभारी
कंजरवेंसी का पानी खाली होने के बाद विभाग द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा।
– गुलाब सिंह, डिप्टी रेंजर
स्थाई समाधान होना चाहिए
डॉ. कमल विश्वास, कालीचरण बर्मन कहते हैं कि क्षेत्र में तीन मगमच्छ हैं, जो पांच फीट लम्बे हैं। इन्हें कई बार देखा गया है। वे कहते हैं कि मगरमच्छों के संरक्षण के लिए वन विभाग को स्थाई व्यवस्था करना चाहिए। ताकि, वे रहवासी इलाकों तक नहीं पहुंच पाएं। फूंदी लाल गोटिया, संदीप तिवारी, कालीचरण बर्मन, नरेंद्र मुगल, जितेंद्र सिंह, समरजीत सिंह, सोनू पिल्ले, उदित रील, रंजना दुबे, गायत्री ने बताया कि प्रशासन से कई बार मांग की है कि इलाके को सुरक्षित किया जाए और मगरमच्छों को पकड़कर उन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाए।