शुरुआत…
राकेश सिंह ने 70 के दशक में प्रतिष्ठित गर्वनमेंट साइंस कॉलेज में बीएससी में दाखिला लिया। यहां प्रवेश के साथ ही उनका राजनीति के प्रति झुकाव सामने आया। वे बीएससी फस्र्ट इयर में ही वर्ष 1978-79 के दौरान कॉलेज की छात्रसंघ कार्यकारिणी के सदस्य चुने गए। इसके बाद वर्ष 1979-80 के छात्रसंघ चुनाव में साइंस कॉलेज से विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के रुप में चुने गए। बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भाजपा युवा मोर्चा से जुड़ गए। इसी दौरान राकेश सिंह वर्ष 1882-93 जबलपुर टिंबर मर्चेंट्स एंड सॉ मिल ऑनर्स एसोसिएशन का चुनाव लड़ा और कार्यकारिणी में निर्वाचित हुए।
भाजपा में एंट्री
भारतीय जनता पार्टी में सदस्य के रुप में काम करने के बाद उन्हें पहली बड़ी जिम्मेदारी वर्ष 1994 के मध्यप्रदेश विस चुनाव के दौरान मिली। जब पार्टी ने उन्हें बरगी विस सीट पर पार्टी का चुनाव संचालक नियुक्त किया गया। कुशल चुनाव प्रबंधन के चलते उन्हें वर्ष 1999 में इस सीट पर दोबारा विस चुनाव में संचालक की जिम्मेदारी सौंपी गई। पार्टी के बड़े नेताओं ने उनकी संगठन क्षमता को इस दौरान भांप लिया। इसके चलते वर्ष 2001 में जब पार्टी ने भाजपा ग्रामीण के लिए नए चेहरे की तलाश की तो उसमें राकेश सिंह बिल्कुल बैठे। उन्हें भाजपा ग्रामीण का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
…और दिल्ली पहुंचे
राकेश सिंह के राजनीति सफर में बड़ा बदलाव उस मोड़ पर आया जब उन्हें वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जबलपुर संसदीय ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। उस वक्त जबलपुर शहर में नए चेहरे के रुप में सामने आए राकेश सिंह ने कम समय में ही पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल बनाया और अपना पहला चुनाव जीतने में सफल रहे। 14वीं लोकसभा में संसद की सीढिय़ां चढऩे के बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जबलपुर संसदीय सीट से दोबारा सांसद निर्वाचित हुए। सांसद रहने के दौरान ही वे वर्ष 2011 में प्रदेश भाजपा में महामंत्री नियुक्त हुए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वे लगातार तीसरे बार जबलपुर सीट से सांसद चुने गए। इसके साथ ही उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्य नियुक्त किया गया।