BelPatra Benefits : इस शहर के लोगों में बढ़ गई बेलपत्र खाने की आदत, हो रहे इस बीमारी के शिकार
शक्कर और नमक का स्वाद नहीं मिलता है तो जरा सी मिर्च भी भारी पड़ जाती है। ऐसी शिकायतें लेकर लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं। इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है।
BelPatra Benefits : नियमित और अधिक बेल पत्र चबाने की आदत लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। लम्बे समय से इसका इस्तेमाल करने वालों के मुंह का जायका बिगड़ गया है। शक्कर और नमक का स्वाद नहीं मिलता है तो जरा सी मिर्च भी भारी पड़ जाती है। ऐसी शिकायतें लेकर लोग विक्टोरिया अस्पताल पहुंचने लगे हैं। इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है।
डॉक्टरों का कहना है कि बेल पत्र में कई तरह के रसायन होते हैं। जिनके औषधीय गुण होते हैं और कुछ बीमारियों के ये लिए फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन जो लोग किसी बीमारी के शिकार हैं और एलोपैथी की दवा लेते हैं, उनके लिए यह नुकसानदेह साबित हो रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ लोग तो मुंह में छाले हो जाने तक की शिकायत लेकर आते हैं।
BelPatra Benefits : केमिकल नष्ट कर देता है मुंह के सलाइवा
उन्हें किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ का स्वाद भी नहीं मिल रहा है। दरअसल बेलपत्र में पाए जाने वाला केमिकल मुंह के सलाइवा (लार)को नष्ट कर देता है। इससे पाचनतंत्र भी प्रभावित होता है। वहीं मुंह सम्बंधी कई सारी समस्याएं और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है
BelPatra Benefits : बढ़ गए मामले
पिछले कुछ समय से विक्टोरिया अस्पताल के ईएनटी विभाग में महिलाएं पहुंच रही थीं, जो उक्त बीमारियों से ग्रसित थी। पहले तो उन्हें दवा दी गई, लेकिन जब एक के बाद एक कई महिलाओं में यह समस्या नजर आई, तो इसका कारण जानने डॉक्टर्स ने मरीजों से बातचीत शुरू की, जिसमें यह बात निकलकर सामने आई कि वे सभी अत्यधिक बेलपत्र चबाती थीं।
BelPatra Benefits : विशेषज्ञ सलाह जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि बेल पत्र भर ही नहीं बल्कि किसी भी वनस्पति का अगर सीधे इस्तेमाल कर रहे हैं तो उससे पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए। क्योंकि हर वनस्पति में अलग-अलग तरह के रसायन पाए जाते हैं, जो फायदे से अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन लोगों को तो और अधिक एहतियात बरतना चाहिए जो कोई एलोपैथी दवा का सेवन कर रहे हैं।
पिछले कुछ समय में मरीजों में मुंह में छाले, सूखापन और स्वाद जाने की समस्याएं सामने आई। यह सभी बेलपत्र का सेवन करते थे। जिस कारण सलाइवा नष्ट होने लगा और यह समस्या हुई। प्रतिदिन एक से दो ऐसे मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
डॉ. पंकज ग्रोवर, ईएनटी विशेषज्ञ, विक्टोरिया अस्पताल
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