ज्योतिषाचार्य पं. सचिनदेव महाराज के अनुसार अन्न का अनादर कभी नहीं करना चाहिए, लेकिन इस दिन खास सावधानी बरतनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और देवी की कृपा बनी रहती है।
ये है अन्नपूर्णा की कथा-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार ऐसी मान्यता है जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गयी थी, तब मां पार्वती ने अन्न की देवी, मां अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट होकर पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध कराकर लोगों की रक्षा की थी। जिस दिन मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा तथा त्रिपुरा भैरवी जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन दान का विशेष महत्व है।
एक बार जब पृथ्वी लोक पर पानी और अन्न समाप्त होने लगा तो परेशान लोगों ने परेशानी से निजात दिलाने के लिए भगवान ब्रह्मा और विष्णु की स्तुति शुरू की। लोगों की परेशानी जान ब्रह्मा और विष्णु ने भगवान शिव की आराधना कर उन्हें योग मुद्रा से जगाया और पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद भगवान शिव ने पृथ्वी का भ्रमण किया। इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप और भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण किया। इसके बाद भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर पृथ्वीवासियों के बीच वितरित किया। इस कारण आज के दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है।
अन्नपूर्णा पूजन विधि
माता अन्नपूर्णा देवी अन्न धान्य की देवी हैं। पूर्णिमा के दिन रसोई घर साफ रखना चाहिए। इसके बाद नर्मदा समेत पवित्र नदियों का जल छिडक़ कर घर को शुद्ध करना चाहिए। घर के चूल्हे की पूजा करनी चाहिए। अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चहिए। माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में कभी अन्न और जल की कमी नहीं होती है।