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जबलपुर

Highway जबलपुर-भोपाल हाईवे से 3 हजार पेड़ काटे, 39 हजार लगाने का दावा हकीकत में छांव मिलना भी मुहाल

Highway जबलपुर-भोपाल हाईवे से 3 हजार पेड़ काटे, 39 हजार लगाने का दावा हकीकत में छांव मिलना भी मुहाल

जबलपुरMay 22, 2024 / 12:51 pm

Lalit kostha

Jabalpur-Bhopal highway

Jabalpur-Bhopal highway

जबलपुर. भेड़ाघाट बायपास से आगे पूरे मार्ग पर लोगों को छांव ढूंढऩा मुश्किल हो रहा है। तीन हजार पेड़ों को काटकर 39 हजार नए पौधे लगाने के वादे को जबलपुर-भोपाल हाइवे का निर्माण करने वाली कंपनी भूल गई है। गर्मी के दिनों में सफर करने वालों को इन्हीं पेड़ों का सहारा रहता था। सड़क का निर्माण करने वाली कंपनी ने कुछ स्थानों पर पौधे जरूर लगाए, लेकिन पानी दिया न खाद, ऐसे में वे सूख गए। अब वहां केवल ठूंठ रह गए हैं।
3 thousand trees cut from Jabalpur-Bhopal highway construction
ये थी शर्त : मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमपीआरडीसी) ने जबलपुर-भोपाल हाइवे का निर्माण कराया है। 307 किलेामीटर लंबे इस हाइवे का निर्माण पांच हिस्सों में किया गया है। जबलपुर से मेरेगांव हिरण नदी के हिस्से में आने वाले 55 किलोमीटर भाग का निर्माण बागड़ इन्फ्रा प्रोजेक्ट नाम की कंपनी ने किया था। ठेका शर्तों में सडक़ निर्माण के दौरान जो वृक्ष काटे गए थेे, उनमें एक के बदले 10 वृक्ष लगाने की शर्त रखी गई थी।
मार्ग के किनारे रोपने थे पौधे
एमपीआरडीसी के अनुसार जबलपुर के हिस्से में होने वाले निर्माण में तीन हजार पेड़ों को काटा गया था। इस हिसाब से 30 हजार नए पौधे लगाए जाने थे। इसके अलावा 9 हजार अतिरिक्त पौधे लगाए जाने थे। यह काम कंपनी को चार साल में पूरा करना है। इसकी शुरूआत फरवरी 2022 में हो गई थी। अब तीन साल पूरे हो गए हैं। पूरे पौधे नहीं लगाए गए। ऊपर से जितने लगे हैं, उनकी देखरेख भी नहीं होने से वे सूख गए है।
Road accidents
टोंक-सवाई माधोपुर हाइवे पर चोरु के पास हो रहे गड्ढे।

आम-कोहा के पेड़ ज्यादा

हाइवे का बड़ा हिस्सा वीरान नजर आता है। जंगली पौधे और पेड़ उग आए हैं, उन्हीं की छांव राहगीरों को थोड़ी राहत देती है। हाइवे बनने से पहले आम, कोहा सहित अन्य प्रजातियों के विशालकाय पेड़ लगे हुए थे।
जबलपुर-भोपाल हाइवे के किनारे जितने पौधे लगाए जाने थे, कंपनी ने वह नहीं लगाए हैं। इसी प्रकार कई जगह पेंच वर्क भी किया जाना था। समय पर दोनों कामों को पूरा नहीं करने पर नोटिस भेजा गया है। यदि समय सीमा मेें पौधरोपण नहीं किया जाता है तो परफार्मेंस गारंटी के रूप में सुरक्षित रखी गई राशि से यह काम पूरे कराए जाएंगे।
राजेंद्र चंदेल, संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी

सड़क के दोनों तरफ पौधे लगाए गए थे, जो संख्या तय की है, उतने नहीं लगे। इस मानसून में इस काम को पूरा कराया जाएगा। इसी प्रकार कई किसानों ने अपने खेतों के बगल से पौधों को उखाड़ दिया है। सडक़ का पेंच वर्क भी कराया जाएगा। अभी लेबर की समस्या है, इसलिए कार्य प्रभावित है।
अवनीश मणि त्रिपाठीसिविल इंजीनियर बागड़ इंफ्रा प्रोजेक्ट

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