जबलपुर

सेना की टैंक रेजीमेंट को मिलेंगे ढाई सौ करोड़ के प्रै क्टिस बम

ओएफके में होगा उत्पादन, कर्मचारियों को मिलेगा बड़ा काम

जबलपुरOct 27, 2023 / 01:14 pm

gyani rajak

जबलपुर. थलसेना की टैंक रेजीमेंट को अभ्यास के लिए जल्द ही 125 एमएम प्रैक्टिस टैंकभेदी बम मिलेंगे। आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) को सेना की तरफ से 20 हजार बम का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस मिल गया है। यह पहला मौका है जब इस बम के प्रैक्टिस वर्जन का इतना बड़ा ऑर्डर दिया गया है।

आयुध निर्माणी खमरिया में जितने प्रकार के बम का उत्पादन होता है, उसमें एक बड़ा भाग प्रैक्टिस वर्जन का होता है। क्योंकि मूल राउंड से यदि अभ्यास किया जाता है तो काफी आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए इसे तैयार किया जाता है। एक पहलु यह भी है कि यदि कोई चीज बनी है तो उसका ट्रायल करना जरुरी होता है। इसी प्रकार सैनिकों को इसे किस प्रकार उपयोग करना है। उसकी मारक क्षमता और खूबियों की जानकारी इसी आधार पर मिलती है। इसलिए सेना को हमेशा इनकी जरुरत होती है।

 

एआरडीई की टीम पहुंचे निर्माणी

यह पूरा प्रोजेकट डीआरडीओ की इकाई एमुनेशन रिसर्च डेवलपमेंट एस्टेबिलिशमेंट (ईआरडीई) की देखरेख में होना है। इसके लिए एक टीम हैदराबाद से ओएफके पहुंची है। वह सेक्शन में तैयारियों का पूरा जायजा लेगी, फिर उसका उत्पादन होगा। 250 करोड़ रुपए का होगा फायदा ओएफके को इस बम के बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस (बीपीसी) से काफी फायदा होगा। जितने नग यहां तैयार होंगे उसकी कीमत 250 करोड़ रुपए है। इस साल के उत्पादन लक्ष्य में इस प्रोडक्ट बहुत बड़ा हिस्सा है। कहीं न कहीं सीधा फायदा कर्मचारियों को होता है। उन्हें इसका पीस वर्क और बोनस मिलता है। जिस सेक्शन में इसका उत्पादन होना है, वहां तैयारियां पूरी हो गई हैं।

मैंगो प्रोजेक्ट के तौर पर उत्पादन

अभी 125 एमएम एंटी टैंक एमुनेशन का उत्पादन निर्माणी में मैंगो प्रोजेक्ट के तौर पर हो रहा है। यह अत्याधुनिक टैंक को आसानी से उड़ा सकता है। इसे रूस के सहयोग तैयार किया गया है। अभी तक दो स्टेज में उत्पादन हो चुका है। पहला सेमी नॉक्ड डाउन और दूसरा कंपलीट नॉक्ड डाउन। इन दोनों स्टेज में सारा कच्चा माल रूस से मिला। केवल असेंबलिंग यहां की गई। अब इसका इंडीजीनियस यानि स्वदेवी वर्जन का उत्पादन शुरू होगा। इसी श्रेणी का एक बम स्वीडन के सहयोग से बनता है।

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मूल और प्रैक्टिस में ज्यादा अंतर नहीं

निर्माणी के विशेषज्ञों ने बताया कि किसी भी प्रैक्टिस और ऑरिजनल (फिल्ड) बम में ज्यादा अंतर नहीं होता। एंटी टैक प्रैक्टिस बम की बात करें तो इसमें प्रोपलेंट और कार्टिज केस मूल बम की तरह होता है। केवल शॉट के रूप में टंगस्टन धातु की जगह स्टील का लगाया जाता है। टंगस्टन काफी महंगा होता है। यह कम से कम ढाई लाख का होता है। यह बम टैंक पर दागा जाएगा लेकिन यह उसे भेदता नहीं है। केवल विस्फोट होगा। जबकि मूल बम टैंक को भेदकर उसके भीतर विस्फोट कर उसे उड़ा देता है।

125 एमएम प्रैक्टिस टैंकभेदी बम का उत्पादन निर्माणी में होना है। इस साल 20 हजार नग का ऑर्डर मिला है। इससे पहले प्रोटोटाइप बनाकर सेना को दिया था। वह सभी मापदंडों में खरा उतरा था। अब उसका उत्पादन करने जा रहे हैं। एमएम हालदार, महाप्रबंधक, ओएफके

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