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इटारसी। रेलवे स्टेशन पर महिला और विकलांग यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे बोर्ड ने जिस काम को प्राथमिकता से करना तय किया था उसी काम में ढिलाई बरती जा रही है। मंडल से चलने वाली ट्रेनों के महिला और विकलांग कोचों का रंग बदलने के साथ ही उनकी पोजीशन में भी बदलाव होना था। रेलवे बोर्ड का यह फरमान धूल खा रहा है। अब तक यह दोनों काम मंडल में चालू नहीं किए गए हैं। रेलवे की सुस्ती के कारण महिला यात्रियों और दिव्यांगों को कोच तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ती है जिससे उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।
यह थी योजना
रेलवे बोर्ड ने दो महीने पहले निर्देश जारी किए थे कि हर मंडल को अपने यहां से चलने वाली यात्री ट्रेनों में लगने वाले महिला/दिव्यांग कोचों के रंग और उनकी पोजीशन में बदलाव करना है। बोर्ड ने महिला यात्री कोच/दिव्यांग कोच का रंग गुलाबी करने के निर्देश दिए थे। साथ ही उन कोचों को ट्रेन के पहले अथवा आखिरी छोर से हटाकर उन्हें बीच में लगाने के निर्देश दिए थे। यह काम सितंबर माह से प्रारंभ होना था मगर अब तक इस योजना पर रेलवे ने एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।
मंडल से चलती हैं 1६ टे्रनें
भोपाल मंडल से करीब १४ यात्री ट्रेनें शुरू होती हैं। इन यात्री ट्रेनों में से किसी में भी यह बदलाव नहीं हुआ है। भोपाल मंडल की इन ट्रेनों में वही पुराने कोच पुरानी जगह पर लगे देखे जा सकते हैं। यही आलम अन्य मंडलों से आने वाली ट्रेनों में भी है। उनके भी महिला/दिव्यांग कोचों के ना तो रंग बदले गए हैं और ना ही कोच पोजीशन बदली गई है।
एक नजर में भोपाल मंडल
मंडल का नाम- भोपाल मंडल
मंडल का गठन- वर्ष 19५२
मंडल से शुरू हुई ट्रेनें-१६ टे्रनें
कुल स्टेशनों की संख्या-९५
किसने क्या कहा
यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे रेलवे को प्राथमिकता से करना चाहिए ताकि दिव्यांग और महिला यात्रियों को सुविधा मिल सके। जो महिलाएं कम पढ़ी लिखी होती हैं उन्हें अभी कोच ढूंढने में बहुत परेशानी आती है।
विनीत राठी, अध्यक्ष नियमित रेलयात्री महासंघ
रेलवे की प्राथमिकता में यह दोनों काम हैं मगर अभी तक मंडल में इस पर काम चालू नहीं हो पाया है। रेलवे जल्द से जल्द इस योजना पर काम प्रारंभ करने की तैयारी में है।
आईए सिद्दकी, जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मंडल