उद्योग जगत

June के महीने में Industrial Production Index में 15 फीसदी की गिरावट

मई के महीने में Industrial Production Index में देखने को मिली थी 22 फीसदी की गिरावट
बीते साल जून में Industrial Production Index में 1.2 फीसदी का देखने को मिला था इजाफा

Aug 01, 2020 / 09:27 am

Saurabh Sharma

15 percent drop in industrial production index in month of June 2020

नई दिल्ली। देश की इकोनॉमी में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला। अभी भी देश के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट ( Industrial Production Fall ) देखने को मिल रही है, जो कि 15 फीसदी की गिरावट पर चली गई है। सरकार की ओर से आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत के आठ प्रमुख उद्योगों की उत्पादन दर ( Index of Industrial Production ) जून 2020 में भी नकारात्मक बनी रही। जून के महीने में इसमें 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली हैै। जानकरों की मानें तो आर्थिक गतिविधियों के खुलने के कारण आठ प्रमुख उद्योगों के इंडेक्स ( Industrial Production Index ) में गिरावट की दर में क्रमिक आधार पर कमी देखने को मिली है।

बीते के साल के मुकाबले बड़ी गिरावट
क्रमिक आधार पर आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक में जून में 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जबकि पिछले महीने यानी मई में 22 फीसदी की गिरावट थी। जोकि मई के मुकाबले में हल्का सा सुधार देखने को मिला है। जबकि जून 2019 में ईसीआई सूचकांक में 1.2 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में आर्थिक सलाहकार कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अप्रैल-जून 2020-21 के दौरान संचयी विकास दर नकारात्मक 24.6 फीसदी थी।

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मार्च में देखने को मिली थी इतनी गिरावट
बयान में कहा गया है कि मार्च 2020 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक का अंतिम वृद्धि दर संशोधित करने के बाद नकारात्मक 8.6 फीसदी है। आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक आईआईपी में ईसीआई की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक है।

इकोनॉमी में गिरावट के संकेत
भले ही सरकार और उसके नुमाइंदे देश की इकोनॉमी में सुधार के संकेत दे रहे हों, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। देश की इकोनॉमी को सुधारने के लिए एशियन बैंक के अलावा चीन के बैंक से कर्ज भी लिया गया है । वहीं वल्र्ड बैंक की ओर से भी कर्ज देने की बात कही जा चुकी है। अगर बात राजकोषीय घाटे की करें तो 80 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। जिसके पूरे 100 फीसदी के पहुंचने के आसार दिखाई दे रहे हैं। जानकारों का कहना है कि देश के विकास दर के पटरी पर आने की गुंजाइश इस साल नहीं दिखाई दे रही है। उसके लिए एक या दो सालों का इंतजार करना पड़ सकता है।

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