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इंदौर

एकमात्र पातालगामी उल्टे हनुमान सांवेर में, मंदिर में की गई आकर्षक सजावट

विश्व भर में जितने भगवान राम के मंदिर हैं संभवत: उतने ही उनके परमभक्त बजरंगबली के भी मंदिर होंगे, लेकिन हनुमानजी की प्रतिमा उलटी अर्थात पातालगामी तो इंदौर जिले के सांवेर नगर के अलावा देश में कहीं नहीं है। सांवेर हनुमानजी सिर के बल विराजमान नजर आते हैं। मंदिर को तो कुछ वर्षों पूर्व भव्य स्वरूप के साथ नया बनवा दिया गया है किन्तु प्रतिमा कितनी प्राचीन है यह पुख्ता तौर पर किसी को जानकारी नहीं है।

इंदौरApr 22, 2024 / 04:48 pm

Sikander Veer Pareek

-अहिरावण का वध कर राम-लक्ष्मण को मुक्त कराने यहीं से पाताल में प्रवेश किया था हनुमानजी ने

हनुमान जयंती पर होंगे आज कई आयोजन

सूर्यकुमार ओस्तवाल

सांवेर. विश्व भर में जितने भगवान राम के मंदिर हैं संभवत: उतने ही उनके परमभक्त बजरंगबली के भी मंदिर होंगे, लेकिन हनुमानजी की प्रतिमा उलटी अर्थात पातालगामी तो इंदौर जिले के सांवेर नगर के अलावा देश में कहीं नहीं है। सांवेर हनुमानजी सिर के बल विराजमान नजर आते हैं। मंदिर को तो कुछ वर्षों पूर्व भव्य स्वरूप के साथ नया बनवा दिया गया है किन्तु प्रतिमा कितनी प्राचीन है यह पुख्ता तौर पर किसी को जानकारी नहीं है।
इंदौर-उज्जैन के बीच है उल्टे हनुमान

उल्टे हनुमानजी का यह प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश में इंदौर-उज्जैन फोरलेन के बीच बसे सांवेर नगर में स्थित है। इंदौर शहर से करीब 30 किलोमीटर और महाकाल की नगरी उज्जैन से 20 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर में मौजूद पवनपुत्र की इस प्रतिमा के दर्शनों के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ ही श्रीराम दरबार, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के अलावा शिव-पार्वती की भी प्रतिमाएं सुशोभित हैं।

यह है पौराणिक कथा

पातालगामी हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित नवीन व्यास बताते हैं कि इस हनुमान मंदिर की स्थापना को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान राम और रावण का युद्ध हो रहा था तब अहिरावण अपना रूप बदलकर भगवान राम की सेना में शामिल हो गया। इसके बाद रात्रिकाल में जब सब सो रहे थे, तब अहिरावण अपनी मायावी शक्ति से श्रीराम और लक्ष्मणजी को मूर्छित कर अपने साथ पाताल लोक ले गया। जब हनुमानजी को यह बात ज्ञात हुई तो वे अहिरावण को खोजते हुए पाताल लोक पहुंच गए और वहां अहिरावण का वध करके राम और लक्ष्मणजी को वापस ले आए। माना जाता है कि सांवेर का यही वह स्थान है, जहां से राम-लक्ष्मण की खोज में हनुमानजी ने पाताललोक में गोता लगाया था। मान्यता है कि इसी वजह से हनुमानजी की इस प्रतिमा को धरती में गोता लगाती मुद्रा में स्थापित किया गया।
मंदिर ही अज्ञात था

सांवेर में हनुमानजी की इतनी प्राचीन प्रतिमा है, यह दो दशक पहले तक खुद सांवेर वालों को ही ज्ञात नहीं था क्योंकि मंदिर नगर से बाहर एक तरफ होने से पुजारी के आलावा कोई आता-जाता ही नहीं था। करीब 20 साल पहले कौशल बंसल सांवेर के एसडीएम नियुक्त हुए थे, वे अचानक इस सुनसान मंदिर में पहुंच गए। उन्होंने गौर से देखा तो हनुमानजी की प्रतिमा उल्टी देखी जो कि उनके लिए तो हर किसी के लिए अजूबा हो सकती थी। एसडीएम ने तत्कालीन पुजारी से जानकारी ली और वे उसी दिन से इस अनूठी हनुमंत प्रतिमा के प्रचार-प्रसार में ही नहीं बल्कि मंदिर के कायाकल्प में भी जुट गए।
हनुमान जयंती पर कई आयोजन

हनुमान जयंती पर न केवल सांवरे ब​ल्कि पूरे मध्यप्रदेश में जगह जगह आयोजन होंगे। सुबह से ही आयोजन का क्रम शुरू हो जाएगा। कई जगह शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। इसे लेकर मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया-संवारा गया है। कई प्राचीन मंदिरों में लोग दूरदराज से दर्शनार्थ आते हैं। रामचरित मानस की चौपाइयों सहित सुंदरकांड व हनुमान चालीसा के पाठ भी सुबह से लोग करेंगे। दूर दूर तक इन चौपाइयों व सुंदरकांड की गूंज रहेगी।

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