जहां लता मंगेशकर जन्मी थी वहां पर पहुंचकर जनता देती रही श्रद्धांजली
इंदौर. एमजी रोड पर जिला कोर्ट ओर गुरूद्वार कलगीधर साहब (तोपखाना) के बीच में से एक छोटी सी गली है। इस गली की शुरूआत में वैसे तो जिला कोर्ट और गुरूद्वारे का रास्ता है, लेकिन उससे लगाकर ही चाट की दुकानें हैं, ये ही फिलहाल इसकी पहचान बनी हुई हैं। लेकिन इसी गली में आगे बढ़ते ही दो बिल्डिंग बाद एक दुकान दिखती है ये दुकान पर लिखा है मेहता क्लॉथ सेंटर। ये दुकान का पता है 25 सिख मोहल्ला। वैसे तो ये इंदौर में मकानों के एक आम पते के समान ही पता है, लेकिन इसकी एक खासियत है। 1928 में ये पता एक पूरे बड़े घर का पता था। ये घर कहलाता था वाघ साहब का बाड़ा। जिसमें बीच का हिस्सा खाली था और उसके चारों और कई कमरे बने थे। इन्हीं कमरों में 1928 में रहने के लिए अपनी पत्नी के आए थे, दिनानाथ मंगेशकर। दिनानाथ मंगेशकर की साली उस समय किराए से यहां पर रहती थी। गायक और नाट्य कंपनी चलाने मंगेशकर उन्हीं के पास इंदौर में आकर रूके थे। महाराजा काम्प्लेक्स की जगह पर उस समय होलकर राजघराने का जलसाघर हुआ करता था। यहां पर उनकी कंपनी के नाटक होते थे। उसी बीच 28 सितंबर 1928 को मंगेशकर की पत्नी सेवंती ने इस घर में एक बेटी को जन्म दिया। जन्म के समय नाम रखा गया हेमा जो बाद में लता में बदल गया। अगले दो-तीन सालों तक इसी घर में लता अपने माता-पिता और मौसी के परिवार के साथ रहीं। बाद में उनका परिवार रानीपुरा में एक मकान में चली गईं। काफी पुराने इस बाड़े को बाद में वाघ परिवार ने बलवंतसिंह को बेच दिया था। बलवंतसिंह ने 1960 में बाडे को तोडकर उसे नए सीरे से बनवाया था। इस घर में रहने वाले सिंह के परिवार वालों को भी नहीं पता था कि लता का जन्म इसी घर में हुआ था। लेकिन 1976 में उनकी मौसी दोबारा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ आई। और उन्होंने परिवार वालों को बताया कि ये घर पहले वाघ साहब का बाडा था जिसमें गायिका लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। उस दौरान सिंह परिवार ने भी उनका स्वागत किया था। हालांकि बाद में सिंह परिवार ने इस घर का एक हिस्सा बेच दिया था। जिसमें फिलहाल मेहता क्लॉथ सेंटर चल रहा है। 2004 में मेहता क्लॉथ सेंटर ने 1960 में बने मकान को भी तोडकर नई बिल्डिंग खड़ी कर दी। रविवार को जब खबर मिली की भारत रत्न स्वर साम्रज्ञी लता मंगेशकर का निधन हो गया है तो ये गली में भी गम का माहौल हो गया। यहां पहले कभी रहने वाले लोग इकट्ठा हो गए थे। और कुछ लोगों ने जहां उन्हें शृद्धांजली देते हुए यहां पर रांगोली बनाई थी। वहीं मेहता क्लॉथ सेंटर ने उनके निधन पर दुकान ही बंद कर दी थी। वहीं दुकान के आगे की ओर लता मंगेशकर का एक चित्र रखा हुआ था। जिस पर फूलों की माला डली हुई थी। सुबह कुछ गायक भी यहां पहुंचे और उन्होंने लता मंगेशकर की जन्मस्थली पर उन्हें शृद्धांजली देते हुए उनके पुराने गीत भी गुनगुनाए। ये सिलसिला पूरा दिन चलता रहा।
(इस मकान के मालिक रहे बलवंत सिंह के पोते जितेंद्रसिंह ने जैसा बताया )
लता की जन्मस्थली है ये समझकर खरीदा था मकान
वर्तमान में मेहता क्लॉथ सेंटर चलता है उस हिस्से के मालिक नितिन मेहता और स्नेहल मेहता के मुताबिक उन्हें जब जानकारी मिली थी कि इसी मकान में लता जी का जन्म हुआ था तो उन्होंने इसे हर कीमत पर खरीदने का मन बना लिया था। और मुंहमांगी कीमत चुका कर इसे खरीदा था। बाद में जब यहां शोरूम बनाया तो उसका एक हिस्सा लताजी को समर्पित कर दिया। वहां उनका म्यूरल बनवाया। दुकान में भी दिनभर लता जी के ही गाने चलते रहते हैं। उनकी दुकान में लता मंगेशकर के भाई स्व. हृदयनाथ मंगेशकर भी आए थे, उन्होनें भी इसे देखा था।