कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अक्षय बम ने तीन नामांकन फार्म जमा किए थे। उन्होंने अपना पहला नामांकन शुभ मुहूर्त देखकर जमा किया था। उसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी jitu patwari और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ फिर से नामांकन पत्र के सेट जमा किए। सोमवार को बीजेपी नेताओं कैलाश विजयवर्गीय Kailash Vijayvargiya और रमेश मेंदोला के साथ निर्वाचन कार्यालय जाकर अक्षय बम ने नामांकन वापस ले लिया।
इंदौर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इसी के साथ उनके तीनों फॉर्म स्वत: निरस्त हो गए हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम पर लोकसभा चुनाव के बाद उनके शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई का दबाव था। कांग्रेस को भी ऐसे कुछ घटनाक्रम का अंदेशा हो गया था। कांग्रेस नेताओं के अनुसार पार्टी को प्रत्याशी का फॉर्म निरस्त कर दिए जाने का अंदेशा था, लेकिन वे खुद नामांकन वापस ले लेंगे यह किसी ने नहीं सोचा था।
पार्टी ने डमी उम्मीदवार के रूप में मोतीसिंह पटेल का भी नामांकन जमा कराया था। अक्षय बम का नामांकन स्वीकृत हो जाने के बाद मोतीसिंह पटेल का नामांकन निरस्त हो गया था। अब कांग्रेस किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन का ऐलान कर सकती है।
अक्षय बम के पिता कांति बम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने अक्षय बम को विधानसभा चुनाव में टिकट देने वादा किया था। उन्होंने इसकी तैयारी भी कर ली थी लेकिन टिकट नहीं मिली। इसके बाद ही पार्टी ने उन्हें लोेकसभा चुनाव Lok Sabha Election 2024 की टिकट दी थी।
इंदौर से अक्षय कांति बम को टिकट दिलाने में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने अहम भूमिका निभाई। उनके नामांकन वापस लेने और बीजेपी में जाने के बाद ग्वालियर में जनसभा में जीतू पटवारी ने कहा कि अक्षय बम को बहुत डराया गया, उन्हें कई प्रकार की यातनाएं भी दी गईं। इतना परेशान किया गया कि मजबूरन नामांकन वापस लेना पड़ा।
जीतू पटवारी ने कहा- अक्षय कांति बम को रातभर कई प्रकार की यातनाएं दी गईं। पुराने मामले में 307 की धारा लगाई गई। हर प्रकार से डराया, धमकाया। इसके बाद साथ ले जाकर नामांकन वापस करवाया गया। पटवारी ने इसे तानाशाही बताते हुए इंदौरवासियों से इसके खिलाफ खड़े होने की अपील की।