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इंदौर

हुकमचंद मिल : मजदूरों को 273 करोड़ तो बैंकों को मिलेंगे 173.75 करोड़

बिजली कंपनी, पीएफ और अन्य बकाया के लिए दिए जाएंगे 54.36 करोड़
 

इंदौरDec 24, 2023 / 01:14 pm

प्रमोद मिश्रा

हुकमचंद मिल : मजदूरों को 273 करोड़ तो बैंकों को मिलेंगे 173.75 करोड़

हुकमचंद मिल मजदूरों को उनका पैसा मिलने के लिए जो फाॅर्म भराए जाने हैं, उनका प्रोफार्मा तैयार हो रहा है। कोर्ट ने मिल की देनदारी का जो पैसा तय किया है, उसमें 33 साल की लड़ाई के बाद 5895 मजदूरों को 273 करोड़ रुपए मिलेंगे, जबकि बैंकों को 173.75 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। बिजली कंपनी, पीएफ और अन्य बकाया के लिए 54.36 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
मिल मजदूरों को जो पैसा मिलेगा, उसमें उन्हें 1991 से लेकर 2001 तक के पैसों पर ब्याज भी कोर्ट ने तय कर दिया है। कोर्ट ने मजदूरों को 44 करोड़ रुपए ब्याज के लिए तय किए हैं। जबकि 25 सालों से चली आ रही कानूनी और प्रशासनिक कामों में भी जो पैसा खर्चा हुआ है, कोर्ट ने उसके लिए भी राशि तय कर दी है। ये राशि 6.54 करोड़ रुपए है। बकाया राशि पर मजदूरों और बैंकों को 2001 तक का ही ब्याज मिलेगा।
2006 में ही मिल जाना था पैसा

मजदूरों को जो पैसा मिल रहा है, वो नवंबर 2001 में मिल के अधिकृत तौर पर बंद होने के समय तक का मिल रहा है। कोर्ट ने अगस्त 2006 में मजदूरों के क्लेम को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने मजदूरों को 229 करोड़ रुपए और दिसंबर 1991 से नवंबर 2001 तक मिल में मिलने वाली तन्खवाह और अन्य खर्चों को जोडकऱ जो राशि हो रही थी, उस पर 44 करोड़ रुपए ब्याज स्वीकृत किया था। मिल की जमीन बेचकर ये पैसा मिलना था। राज्य सरकार ने मिल की जमीन ही नहीं बिकने दी, उल्टा कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील कर दी, जिसके चलते मजदूरों को 17 साल बाद 2006 में जो पैसा तय हुआ था वो मिल पा रहा है।
कोर्ट फीस लग गई करोड़ों रुपए

कोर्ट ने मजदूरों को दिए जाने वाले पैसों में से 6.54 करोड़ रुपए चुकाने के लिए कहा है। ये पैसा प्रशासनिक और कानूनी व्यय का है। मजदूरों के संघर्ष की लड़ाई बीते 25 सालों से कोर्ट में चल रही है। कोर्ट में केस लगाने के लिए वकीलों की ओर से 5985 मजदूरों के क्लेम के लिए कोर्ट फीस भी चुकाई गई है, जो कि करोड़ों रुपए में है। इंदौर हाई कोर्ट, डेब्थ रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी), सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य अदालतों में 5 हजार से ज्यादा तारीख लग चुकी है। इन तारीखों पर भी वकीलों की पेशी के साथ ही अन्य खर्चे भी लगे हैं। कोर्ट ने केस लगाने वाले मजदूरों को जो राशि दी जानी है, उसमें ही 6.54 करोड़ रुपए इस खर्चे के भी चुकाने के लिए कहा है। क्योंकि केस मजदूरों की ओर से लगाया गया था। इसलिए राशि उन्हें ही देना है। वहीं ये राशि लेने वाले वकीलों ने जो पैसा अभी तक खर्चा किया है, उसके अलावा उन्हें जो पैसा बचेगा, उस पर 12 फीसदी सर्विस टैक्स और 30 फीसदी आयकर भी लगेगा।
कोर्ट ने तय की ये राशि

बकायादार – बकाया 2001 (मिल बंदी के दिन तक) – भुगतान हुआ – भुगतान बाकी – दिया जाएगा

मजदूर – 229.00 – 55.14 – 173.86- 224.40 (इसमें मजदूरों को दिया जाने वाला 44 करोड़ का ब्याज और 6.54 करोड़ का कानूनी और प्रशासनिक खर्चा शामिल है।)
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया – 124.74 – 12.22 – 112.52 – 112.52

आइडीबीआइ बैंक – 19.29 – 1.89 – 17.40 – 17.40

आइएफसीआई और आइआइबीआइ – 9.15 – 0.89 -8.26 – 8.26
कोटक महिंद्रा बैंक – 16.58 – 1.62 – 14.96 – 14.96

जीवन बीमा निगम (एलआईसी) – 3.99 – 00- 3.99 – 3.99

बिजली कंपनियां – 31.22 – 00- 31.22 – 31.22

पीएफ, कर्मचारी राज्य बीमा, एक्साइज, कस्टम – 12.14- 00- 12.14 – 12.14
अन्य बकायादार – 00- 00 -00 -1

आकस्मिक व्यय – 00 -00 -00 10

कुल – 446.11 – 71.76 – 374.35 – 435.89

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