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इंदौर

हाय गर्मी ! ट्रांसफॉर्मर के भी छूट रहे पसीने….90 डिग्री तक जा रहा तापमान, हो सकता है ब्लास्ट

Heatwave: ट्रांसफॉर्मर का तापमान 60 डिग्री तक होना चाहिए। वातावरण का तापमान 43-44 डिग्री होने पर ट्रांसफॉर्मर का तापमान 80 से 90 डिग्री तक चला जाता है।

इंदौरMay 30, 2024 / 10:09 am

Astha Awasthi

Heatwave

Heatwave: आसमान से बरस रही आग सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि मशीनों के लिए भी घातक साबित हो रही है। बिजली के ट्रांसफॉर्मर गर्मी सहन नहीं कर पा रहे हैं। नतीजन बार-बार बिजली गुल हो रही है। बिजली कंपनी के मिस मैनेजमेंट और अमले की लापरवाही से बिजली गुल होने की समस्या बढ़ गई है। अफसरों के अनुसार, हर दिन बिजली गुल होने की करीब 1800 शिकायतें रोज आ रही हैं।
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बिजली कंपनी के शहर में 30 जोन हैं। सामान्य दिनों में बिजली संबंधी 20 से 25 शिकायतें आती हैं। बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में 60-70 शिकायतें आ रही हैं। बड़े जोन में आंकड़ा ज्यादा होता है। कुल मिलाकर गर्मी में शिकायतों का औसत आंकड़ा प्रतिदिन 1800 तक पहुंच रहा है।
दूसरी ओर स्थिति यह है कि सुबह, रात या दोपहर किसी भी समय पांच मिनट से लेकर 1-1 घंटे तक बिजली गुल रहती है। कई बार समय और ज्यादा हो जाता है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां यह समस्या न हो।

ट्रांसफॉर्मर का तापमान बड़ा कारण

अधिकारी कहते हैं कि गर्मी के कारण बिजली गुल होने की समस्या है। ट्रांसफॉर्मर का तापमान 60 डिग्री तक होना चाहिए। वातावरण का तापमान 43-44 डिग्री होने पर ट्रांसफॉर्मर का तापमान 80 से 90 डिग्री तक चला जाता है। ट्रांसफॉर्मर में ऑयल होता है। तापमान अधिक होने और लोड ज्यादा होने से फॉल्ट, आग लगना, तकनीकी खराबी जैसी स्थितियां निर्मित होने से बिजली गुल हो रही है।

आधी रात को सबसे ज्यादा लोड

अधिकारियों के अनुसार, जिन घरों का लोड एक किलोवाट का है, वहां ज्यादा लोड उपयोग किया जा रहा है। कई घरों में एसी चल रहे हैं। कई जोन में रात 12 बजे के आसपास सबसे ज्यादा लोड दर्ज हो रहा है।

कंपनी के इंतजाम नाकाफी, हेल्पलाइन से संपर्क दुश्वार

फॉल्ट होने से बंद हुई बिजली को समय रहते चालू नहीं किया जाता है। इसका कारण कई जोन पर क्षेत्रफल और उपभोक्ता संख्या अधिक होनी है। अमला भी कम है। शिकायत करने के लिए 1912 नंबर जारी किया गया है, लेकिन जब शहर में तेज हवा और बारिश होती है तो कॉल सेंटर से संपर्क नहीं हो पाता है। सेंट्रल जोन में 132 केवी का ग्रिड नहीं है। दूर से लाइन से सप्लाई होती है। ऐसे में बिजली सप्लाई में बाधा आती है। प्रत्येक जोन पर 10 से 12 लाइनमैन होने चाहिए, लेकिन दो से तीन कर्मचारियों के भरोसे काम चल रहा है।

तापमान ज्यादा, सिस्टम ओवरलोड

इस बार तापमान ज्यादा है। हर साल के मुकाबले 16 प्रतिशत लोड ज्यादा है। इससे सिस्टम ओवरलोड है और कहीं-कहीं ट्रिपिंग हो रही है। हम ट्रांसफॉर्मर की क्षमता बढ़ाने के साथ अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर लगा रहे हैं। मेंटेनेंस का काम भी चल रहा है।- अमित तोमर, एमडी, बिजली कंपनी

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