4 लाख मीट्रिक टन क्षमता
जिले में मटर की पैदावार 4 लाख मीट्रिक टन के करीब है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके प्रसंस्करण में कितनी क्षमता है। यदि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा मिलता तो इन उद्योगों को मटर के रूप में भरपूर कद्मचा माल मिलता वहीं किसानों को भी घाटा नहीं उठाना पड़ता।
दो से तीन गुना हो जाती है कीमत
पूरे सीजन में हरा मटर औसतन 10 से लेकर 30 रुपए किलो थोक में बिकता है। फुटकर में कीमत 40 से 50 रुपए मिलता है। दूसरी तरफ फ्रोजन मटर की कीमत की बात करें तो यह 120 से लेकर 180 रुपए किलो तक रहती है। कभी-कभी बाजार में कीमत बहुत निचले स्तर पर पहुंच जाती है।
इस साल चार उद्योगों की स्थापना
जिले में तीन मटर प्रसंस्करण इकाइयां संचालित हो रही थीं। इनमें सबसे बड़ी ग्राम खैरी के पास निजी क्षेत्र की कंपनी है। आसपास दो और इकाइयां चलती हैं। चार इकाइयों की स्थापना इस साल हुई है। सातों इकाइयों में अभी केवल 10 हजार 200 मीट्रिक टन का प्रसंस्करण किया जा सकता है।
गन्ना की मिल रही कीमत, यहां कुछ नहीं
प्रदेश में गन्ना का उत्पादन कई गुना बढ़ गया है। लेकिन किसानों को उपज बेचने के लिए शुगर मिलें मौजूद है। मटर के मामले में ऐसा नहीं है। यही हाल ङ्क्षसघाडा को लेकर है। उसकी इकाइयां कम है। जबकि सिहोरा की ङ्क्षसघाडा मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शामिल है।