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5.47 लाख वोटों से जीती थी भाजपा (Election Results 2024)
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 5.47 लाख वोटों से जीती थी। चुनाव शुरू होते ही भाजपा नेता आठ लाख से जीत का दावा कर रहे थे। 29 अप्रेल को कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नाम वापस लेकर भाजपा की सदस्यता ले ली और चुनाव एकतरफा हो गया। कांग्रेस ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नोटा का बटन दबाने का प्रचार किया। आशंका थी कि नीरस हो चुके चुनाव में मतदान कम होगा, लेकिन 15 लाख 58 हजार 343 मतदाताओं ने बूथ पर पहुंचकर उपस्थिति दर्ज कराई। इसके अलावा 2699 मतदाता 85 वर्ष से अधिक उम्र के व दिव्यांग थे, जिन्होंने घर से वोट डाला। 1379 कर्मचारियों व 460 सर्विस वोटर ने मताधिकार का उपयोग किया। ये आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि चार जून को सुबह आठ बजे तक आने वाले मतों को मान्य किया जाएगा। उधर, भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। भाजपा देश में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाली सीट इंदौर को मान रही है तो कांग्रेस की वजह से नोटा भी सर्वोच्च अंक प्राप्त कर सकता है।
ये है अनुमान का समीकरण (Election Results equation )
भाजपा नेताओं का मानना है कि इंदौर में कुल मतदान 15.63 लाख हुआ। इसमें से 10 फीसदी वोट नोटा को मिलेंगे। ऐसा हुआ तो 1.56 लाख वोट नोटा को मिल सकते हैं। 50 हजार के अंतर से सभी 13 प्रत्याशियों को वोट मिलेंगे, जिसमें सबसे ज्यादा 25 हजार वोट बसपा प्रत्याशी संजय सोलंकी को भी दिए जाएं तो भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी को 13 लाख 57 हजार वोट मिलेंगे। इस हिसाब से 13 लाख 31 हजार 881 वोटों से जीत होगी। नोटा या बसपा के वोट कम होंगे तो लालवानी की लीड बढ़ेगी। मालूम हो, इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा का 35 साल से कब्जा है। 1989 में सुमित्रा महाजन पहली बार चुनाव जीती थीं। उन्होंने कांग्रेस के प्रकाशचंद्र सेठी को हराया था। इसके बाद वे 8 बार लोकसभा सदस्य रहीं। मौजूदा सांसद लालवानी दूसरी बार भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार जीत के साथ भाजपा का दसवीं बार इंदौर पर कब्जा हो जाएगा।