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आस्था स्थल: मार्बल से बना रामसापीर का मंदिर, अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी, दीवारों पर उकेरी कलाकृतियां

श्री रामदेवजी चैरिटेबल ट्रस्ट होसपेट कर रहा मंदिर की देखरेख: दस महीने पहले हुई प्रतिष्ठा

हुबलीDec 13, 2024 / 04:34 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

रामसापीर का मंदिर

रामसापीर का मंदिर

कर्नाटक के विजयनगर जिले के होसपेट में बना बाबा रामदेव का मंदिर श्रद्धा का केन्द्र है। रामसा पीर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मंदिर से शोभायात्रा निकाली जाती है जो मुख्य बाजार, गांधी सर्किल होते हुए पुन: रामदेव मंदिर पहुंचकर संपन्न होती है। मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी समेत अन्य उत्सव भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। करीब दस महीने पहले ही होसपेट में रामसापीर के मंदिर की प्रतिष्ठा हुई है। बाबा रामदेव की प्रतिमा चांदी के बने घोड़े पर सवार है और हाथ में भाला लिए हुए हैं। सिर पर चांदी का मुकुट पहना है। खास बात यह है कि अखंड ज्योत एवं कपड़े का घोड़ा रामदेवरा से यहां लाया गया है। इसके लिए होसपेट से भक्तों का समूह बस से रामदेवरा गया था। बाबा रामदेव की मुख्य प्रतिमा के पास ही हरजी भाटी, सुगनाबाई एवं लाछाबाई तथा बाबा रामदेव के भान्जे की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। मंदिर के पीछे वरुण देवता तथा दोनों तरफ धर्मराजा एवं कुुबेर देवता की प्रतिमाएं भी स्थापित है। इसके अलावा मंदिर परिसर में ही जगदम्बा माता, शिव परिवार(शिव-पार्वती-दत्तात्रेेय-गणपति), राम दरबार(राम-लक्ष्मण-सीता-हनुमान) तथा राधाकृष्ण की प्रतिमाएं स्थापित है। मंदिर के मुख्य द्वार के पास हनुमान एवं गजानन की प्रतिमाएं हैं। इसके साथ ही मंदिर परिसर में दीवारों पर बाबा रामदेव के दिए गए परचे को विभिन्न कलाकृतियों के रूप में उकेरा गया है। मंदिर की दीवारों पर संत खेताराम महाराज ब्रह्मधाम आसोतरा, पीर शांतिनाथ महाराज सिरे मंंदिर जालोर, राजाराम महाराज शिकारपुरा, अणदाराम महाराज, लिखमीदास महाराज, माधवदास महाराज एवं पूरणदास महाराज की तस्वीरें भी लगाई गई हंै। मंदिर परिसर में तुलसी की मालाएं भी हैं जिनसे भक्तगण जाप करते हैं। मंदिर पहली मंजिल पर बना हुआ है जबकि भूमि तल पर हॉल एवं कमरों का निर्माण करवाया गया है।
चार दशक से रामसा पीर की सेवा में
श्री रामदेवजी चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव मूलचन्द शर्मा मोकलसर ने बताया, वर्ष 1982 में विष्णु समाज के लोगों ने रामदेव भक्ति मंडल बनाया था। तब ओल्ड मैदार रोड स्थित हनुमान मंदिर में हर अमावस्या व पूर्णिमा को भजनों का कार्यक्रम होता था। फिर 1984 में दुकान मालिक भी साथ आ गए और सनातन धर्म विष्णु समाज मंडल का गठन किया। इसके बाद 1991 में हनुमान मंििदर में मीटिंग बुलाई गई और रामदेव मंदिर निर्माण के लिए जगह ली गई। इसके बाद 1997 में पास में ही और अतिरिक्त जगह ली गई और इसके बाद मंदिर को लेकर प्रयास और तेज हुए। 2007 में भूमि पूजन हुआ तथा 22 फरवरी 2024 को मंदिर की प्रतिष्ठा हुई।
रोजाना दर्शन के लिए आते हैं भक्तगण
बाबा रामसापीर के एक भक्त जब्बरसिंह राजपुरोहित मायलावास ने बताया कि भक्तगण रोजाना मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। विशेष अवसरों पर भक्तों की अधिक भीड़ रहती है। मंदिर के पुजारी श्रवणकुमार भट्ट सियाणा ने बताया कि मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12.15 बजे तक तथा शाम को 5 से 8 बजे तक खुला रहता है। सुबह 8.30 बजे तथा शाम 7.30 बजे आरती होती है। रोजाना अलग-अलग भोग लगता है।
ट्रस्ट के पदाधिकारी
श्री रामदेवजी चैरिटेबल ट्रस्ट होसपेट के अध्यक्ष मीठालाल खंडेलवाल अजारी है। अन्य पदाधिकारियों में विजयराज सुथार महेशनगर उपाध्यक्ष, मूलचन्द शर्मा मोकलसर सचिव, चम्पालाल सोनी पिंडवाडा कोषाध्यक्ष के साथ ही घेवरसिंह राजपुरोहित रानी देशीपुरा, भबूतमल राजपुरोहित मायलावास, रामाकिशन राजपुरोहित अराबा, महेन्द्र कुमार सोनी, देवाराम चौधरी, चन्दनसिंह भाटी सांवरड़ा, मोहनलाल सोनी पिंडवाड़ा, जोधाराम चौधरी एवं हरकचन्द राजपुरोहित ओडवाड़ा ट्रस्टी है। ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष तुलसीराम सोनी पिण्डवाड़ा बने और हरकचन्द राजपुुरोहित ओडवाड़ा भी ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वर्ष 2001 से मीठालाल खंडेलवाल अजारी अध्यक्ष है।

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