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हुबली

इस गांव के लोग नहीं लेंगे मतदान में हिस्सा, पहले भी दो बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके

येलानीर के पास गुथ्याडका के ग्रामीणों ने एक बार फिर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। वे पहले भी दो बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं। अब तीसरा मौका है जब ग्रामीण मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे।

हुबलीApr 19, 2024 / 01:20 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

मेंगलूरु. येलानीर के पास गुथ्याडका के ग्रामीणों ने एक बार फिर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। वे पहले भी दो बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं। अब तीसरा मौका है जब ग्रामीण मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। दरअसल ग्रामीणों की मुख्य समस्या सड़क की है। ग्रामीण कई बार सड़क को दुरुस्त कराने की मांग कर चुके हैं लेकिन हर बार उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे में मरीजों को अस्पताल ले जाने में दिक्कत आती है।
एक ग्रामीण ने बताया कि बेलथांगडी तालुक में मालवनथिगे ग्राम पंचायत के गुथ्याडका और कलासा तालुक के निकटतम गांव समसे को जोडऩे वाली सड़क की कमी के कारण ग्रामीण अन्य इलाकों से लगभग कटे हुए हैं। इससे गुथ्याडका, कुरेकल्लू, कुरचरू समेत आसपास के लोगों को परेशानी होती है। यदि कोई बीमार हो जाएं या किसी को सर्प ने काट लिया तो अस्पताल जाने के लिए सड़क तक नहीं है। ऐसे में मरीज को डोली में बिठाकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। एक तो सड़क की हालत खस्ता है और ऊपर से इतनी संकरी है कि कोई भी वाहन चालक चलने को तैयार ही नहीं होता है।
मानसून में हालात भयावह
एक ग्रामीण ने बताया कि किसी ग्रामीण को यदि नया घर बनाना हो तो उसे निर्माण सामग्री लाने में पसीना छूट जाता है। ऐसे में कई लोग पक्का मकान तक नहीं बना पा रहे हैं। मानसून के वक्त हालात और भयावह हो जाते हैं। बच्चों को स्कूल तक किसी तरह दुपहिया वाहन पर बिठाकर छोडऩा पड़ता है। कई बार वाहन चालक फिसल जाते हैं। ग्रामीण अपने साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार से दुखी है। ग्रामीणों का कहना है कि कई छोटे गांवों में विकास के अधिक काम हुए हैं लेकिन उनके गांव की लगातार उपेक्षा हो रही है। ऐसे में इस बार फिर ग्रामीणों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का मानस बनाया है।
ग्राम पंचायत चुनाव का कर चुके बहिष्कार
एक ग्रामीण ने बताया कि 2009 के लोकसभा चुनाव और तत्कालीन ग्राम पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया था। बहिष्कार के बाद, अधिकारियों ने 2013-14 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक पैकेज के तहत अधिकांश घरों में बिजली प्रदान करने और कुछ स्थानों पर कंक्रीट सड़कें बनाने का वादा किया था। ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से आग्रह के बाद भी कोई काम की प्रगति न होते देख ग्रामीणों ने अपने बूते 80 हजार रुपए जुटाए।

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