नगर परिषद के चार पूर्व पार्षदों और नगर परिषद कर्मचारियों को नोटिस दिया गया है और इन मामलों की जांच के लिए जिला प्रशासन ने दो टीमें गठित की हैं परन्तु कहा जा रहा है कि समय सीमा बीत जाने के बावजूद अभी भी जांच की जा रही है। जिला शहरी विकास सेल के परियोजना निदेशक एवं एडीसी शरणबसप्पा कोटेप्पगोल ने नगर परिषद कार्यक्षेत्र में अवैध तौर पर कृषि भूमि में नकली दस्तावेज बनाकर ई-संपत्ति सॉफ्टवेयर में 1,310 अनधिकृत खातों को देने के मामले पर संयुक्त जांच कर रिपोर्ट देने को लेकर 17 अगस्त को आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था।
चार की टीमों का गठन जिला शहरी विकास सेल के कार्यकारी अभियंता सोम राठौड़, सुरपुर नगर परिषद आयुक्त प्रेम चार्ल्स, सुरपुर राजस्व अधिकारी वेंकटेश, शहापुर नगर परिषद राजस्व निरीक्षक शरणबसव समेतटीम गठित कर 15 दिनों के भीतर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए थे। रिपोर्ट नहीं देने से संदेह बढ़ रहा है कि अधिकारी किस तरह से जांच कर रहे हैं।
इसके अलावा, उप-विभागीय अधिकारी एवं यादगिरी नगर परिषद के प्रभारी आयुक्त हम्पन्ना सज्जन को सरकारी संपत्ति आवंटन मामले का जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है परन्तु उन्होंने भी कार्य के दबाव के चलते रिपोर्ट नहीं देने से कई संदेह पैदा हुए हैं।
घोटाला उजागर करने वाले अधिकारी का ही तबादला लोगों का आरोप है कि 2019 से 2023 तक, पिछले चार नगर आयुक्तों और कर्मचारियों ने मृतकों के नाम पर अवैध खाते बनाए थे। पूर्व नगर परिषद आयुक्त रहे संगमेश उपासे ने सरकार को दी रिपोर्ट में कहा था कि इससे सरकारी खजाने को 18 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। साथ ही नगर परिषद के कर्मचारियों ने 6 लोगों को सरकारी जमीन के खाद्य निगम के गोदामों को आवंटित किया था। इसे उजागर करने वाले अधिकारी को ही रसूखदार लोगों ने तबादला करवाया था। इससे भी जांच में देरी हुई है।
आरसी कार्यालय से दो लोगों की टीम लोगों का कहना है कि यादगिरी नगर परिषद सरकारी संपत्ति आवंटन की जांच के लिए कलबुर्गी क्षेत्रीय आयुक्तालय की ओर से दो अधिकारियों की टीम नियुक्त की गई है। इन्हें सरकार को रिपोर्ट सौंपनी चाहिए। दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट देने के बाद जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, इसका हमें इंतजार करना होगा।
दोषियों को सजा दिलवाएं जनप्रतिनिधि
जिले के लोगों का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान नगर परिषद घोटाला हुआ था। फिलहाल कांग्रेस सरकार सत्ता में है और जांच में देरी के बावजूद संबंधित मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों के इस बारे में परवाह नहीं करने के आरोप लग रहे हैं। भाजपा सरकार को 40 फीसदी भ्रष्टाचार वाली सरकार बताकर खूब आलोचना की गई थी परन्तु प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करके गड़बड़ी उजागर करने वाले अधिकारी का ही रसूखदार लोगों ने तबादला करवाया है। शहरवासियों की मांग है कि जिले के प्रभारी मंत्री और विधायक को इस ओर ध्यान देकर रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अधिकारियों को सजा दिलवानी चाहिए।
जिले के लोगों का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान नगर परिषद घोटाला हुआ था। फिलहाल कांग्रेस सरकार सत्ता में है और जांच में देरी के बावजूद संबंधित मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों के इस बारे में परवाह नहीं करने के आरोप लग रहे हैं। भाजपा सरकार को 40 फीसदी भ्रष्टाचार वाली सरकार बताकर खूब आलोचना की गई थी परन्तु प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करके गड़बड़ी उजागर करने वाले अधिकारी का ही रसूखदार लोगों ने तबादला करवाया है। शहरवासियों की मांग है कि जिले के प्रभारी मंत्री और विधायक को इस ओर ध्यान देकर रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अधिकारियों को सजा दिलवानी चाहिए।
दो-तीन दिनों में रिपोर्ट दी जाएगी सभा, समारोहों के कार्य दबाव के कारण यादगिरी नगर परिषद सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग की जांच रिपोर्ट देना संभव नहीं हो पया है। दो-तीन दिनों में रिपोर्ट दी जाएगी।
–हंपन्ना सज्जन, प्रभारी आयुक्त, नगर परिषद, यादगिरी रिपोर्ट नहीं दी नगर परिषद ने अभी तक सरकारी संपत्ति के अवैध खाते के गबन पर रिपोर्ट नहीं दी है। इस बारे में एकाध दिन में जानकारी दी जाएगी।
–शरणबसप्पा कोटेप्पगोल, परियोजना निदेशक, जिला शहरी विकास सेल, यादगिरी