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महाराष्ट्र की सीमा से लगता चिक्कोड़ी लोकसभा क्षेत्र दशकों से कांग्रेस का गढ़ रहा, मंत्री की बेटी का मुकाबला मौजूदा भाजपा सांसद से

भाजपा मोदी के सहारे तो कांग्रेस गारंटियों के बूते जीत की उम्मीद कर रही

हुबलीApr 28, 2024 / 04:10 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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महाराष्ट्र की सीमा से लगता चिक्कोड़ी लोकसभा क्षेत्र दशकों से कांग्रेस का गढ़ रहा है। कांग्रेस के बी शंकरानंद ने 1967 से 1996 तक लगातार सात बार जीत हासिल की। हालांकि इस बार 18 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है। चिक्कोड़ी लोकसभा क्षेत्र में लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली की बेटी प्रियंका जारकीहोली और भाजपा सांसद अन्नासाहेब जोले के बीच लड़ाई देखी जा रही है। पूर्व मंत्री शशिकला जोले के पति और मौजूदा सांसद अन्नासाहेब जोले को सीट बरकरार रखने का भरोसा है, जबकि एमबीए स्नातक प्रियंका अपने पिता के प्रभाव और अनुभव को देखते हुए जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है।
निर्वाचन क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच कांग्रेस के पास हैं। इनमें काग्रेस के पास जहां अथनी, कागवाड, चिक्कोडी-सादलगा, यमकनमरड और कुडाची है जबकि भाजपा के पास तीन निपानी, रायबाग और हक्केरी हैं। कांग्रेस की पांच सीटों में से तीन का प्रतिनिधित्व पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सवदी, तीसरी बार के विधायक गणेश हुक्केरी और खुद सतीश जारकीहोली जैसे दिग्गज कर रहे हैं। अपने पाले में विधानसभा सीटों की संख्या और उन पर काबिज दिग्गजों को देखते हुए कांग्रेस जीत को लेकर आश्वस्त है।
कांग्रेस सरकार की पांच गारंटी योजनाओं का जमकर प्रचार कर रही है। कांग्रेस लोगों को अपनी उपलब्धियां बता रही हैं। हालांकि, पार्टी के लिए बुरी खबर है कि पूर्व आईएएस अधिकारी शंभू कल्लोलिकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। एससी समुदाय से आने वाले कल्लोलिकर इस चुनाव में संभावित रूप से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं, क्योंकि उनके परिवार का रायबाग और कुदाची विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव है।
कल्लोलिकर बिगाड़ेंगे खेल
कल्लोलिकर ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीति में प्रवेश किया। कांग्रेस ने टिकट का आश्वासन दिया था, लेकिन अंतिम समय में उन्हें इनकार कर दिया गया। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा उम्मीदवार से महज तीन हजार वोटों से हार गए। कल्लोलिकर का मानना है कि उनके टिकट काटने में सतीश जारकीहोली का हाथ था। माना जा रहा है कि कल्लोलिकर को मिले वोटों का सीधा असर कांग्रेस की जीत की संभावनाओं पर पड़ेगा। जोले जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और हिंदुत्व पर काफी भरोसा कर रहे हैं। जोले और शशिकला हाल के वर्षों में हिंदुत्व के प्रमुख पैरोकार बन गए हैं। 2022 में उन्होंने हिंदुत्व के खिलाफ जारकीहोली के विवादास्पद शब्दों की आलोचना करने के लिए यमकनमराडी विधानसभा क्षेत्र में नानू हिंदू नामक एक कार्यक्रम आयोजन किया।
जोले पर आसानी से नहीं मिलने के आरोप
लिंगायत समुदाय के सदस्य के रूप में जोले निर्वाचन क्षेत्र में 4.8 लाख लिंगायतों के वोट हासिल करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, जोले परिवार श्री बीरेश्वर सहकारी क्रेडिट सोसायटी चलाता है, जिसकी कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में 210 से अधिक शाखाएं हैं। इनमें से अधिकांश शाखाएं चिक्कोडी लोकसभा क्षेत्र में स्थित हैं, जिससे जोले के लिए मतदाताओं से जुडऩा आसान हो गया है। हालांकि, जोले के खिलाफ सत्ता विरोधी भावना है। बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि वह आसानी से उपलब्ध नहीं है। जोले के लिए एक और महत्वपूर्ण चुनौती उनके अभियानों में प्रमुख स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों की अनुपस्थिति है। खासकर प्रभाकर कोरे, रमेश कट्टी और महंतेश कवतगीमठ जैसे पदाधिकारियों की अनुपस्थिति है। कट्टी चिक्कोडी में भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार थे, जबकि कोरे अपने बेटे अमित के लिए टिकट हासिल करने की उम्मीद कर रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि जोले ने उन्हें अपने अभियान का समर्थन करने के लिए मनाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं।

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