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हुबली

आर्य युग खंड-1 विषय कोश का विमोचन, ऐसे 27 खंड निकलेंगे, हर खंड में चार विषय होंगे

आर्य युग खंड-1 विषय कोश का विमोचन रविवार को यहां हुब्बल्ली के केशवापुर अरिहंत कॉलोनी स्थित वासू पूज्य जैन नूतन भवन के एस.टी. भंडारी प्रवचन हॉल में किया गया। आचार्य अरिहंत सागर सूरीश्वर महाराज एवं पन्यास प्रवर धैर्यसुन्दर विजय महाराज के सान्निध्य में आयोजित समारोह में विमोचन हुआ। इस मौके पर विभिन्न संघों के पदाधिकारियों के साथ ही कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

हुबलीMay 19, 2024 / 01:55 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली के केशवापुर अरिहंत कॉलोनी स्थित वासू पूज्य जैन नूतन भवन के एस.टी. भंडारी प्रवचन हॉल में रविवार को आर्य युग खंड-1 विषय कोश का विमोचन किया गया।

वर्षों की मेहनत के बाद ग्रन्थ प्रकाशित
श्री वासू पूज्य जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट एवं संघ समिति के तत्वावधान में आयोजित विमोचन समारोह में आचार्य अरिहंत सागर सूरीश्वर ने कहा कि इतने वर्षों की मेहनत के बाद यह ग्रन्थ प्रकाशित हो सका है। इसके निर्माण में भारी परिश्रम लगा है। शाों में बताई गई तर्कबद्ध बातों को इसमें बताया गया है। साथ ही भविष्य में गहरे चिंतन के लिए भी यह ग्रन्थ उपयोगी साबित हो सकेगा। पूरा एकत्रीकरण करके एक जगह पर इसे ग्रन्थ में जगह दी गई है। गच्छाधिपति आचार्य युगभूषण सूरीश्वर महाराज के मार्गनिर्देशन में यह विषय कोश तैयार किया गया है। इसमें चार मुख्य विषय समाहित किए गए हैं जिसमें अचौर्यमहाव्रत संबंधी, अढार पापस्थानक संबंधी, अढारहजारशीलांग आदि रथों संबंधी तथा अनशन, संलेखना, समाधिमरण संबंधी है। ऐसे 27 खंड प्रकाशित किए जाएंगे। हर खंड में चार विषय होंगे यानी 27 खंडों में कुल 108 मुख्य विषय समाहित किए जाएंगे।
हिंदी व गुजराती भाषा में
आचार्य ने कहा, अभी पहले खंड का विमोचन किया जा रहा है। इसके बाद एक-एक कर अन्य खंडों का विमोचन किया जाएगा। आर्य युग खंड-1 विषय कोश हिंदी व गुजराती भाषा में उपलब्ध कराया गया है जिसमें 766 पेज है। इसके प्रकाशन में सामग्री के लिए मुनि नयजीत विजय, साध्वी कलानिधि एवं साध्वी निर्मलदृष्टि का भी विशेष मार्गदर्शन रहा है। काशी के विद्वानों ने भी इस ग्रन्थ की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि जन कल्याण की परम्परा निरंतर प्रवाहित होती रहे। कल्याण का मार्ग अविरल चलता रहे। भगवान ने ऐसे चतुर्विद संघ की स्थापना की है।
प्रभु के साथ कनेक्शन
इस अवसर पर पन्यास प्रवर धैर्यसुन्दर विजय महाराज ने कहा कि प्रभु के शासन के ज्ञान-विरासत के साथ हमारा कनेक्शन होना चाहिए। सबके साथ मिल-जुलकर हमें काम करना है। टीम वर्क जरूरी है। मान्यता सिर्फ एक ही है वह है प्रभु का शासन। इसके अंदर तेरा-मेरा कुछ भी नहीं है। हमें सक्रिय रहकर अपना कुछ न कुछ सहयोग करना है। हर व्यक्ति में कुछ न कुछ योग्यता छिपी रहती है। जरूरत है उसके काम को निखारने की। उन्होंने कहा कि हरेक आधुनिकीकरण का विरोध नहीं हो सकता है। हमेशा मन-दिल खुला रखना है। प्रभु का शासन न केवल जैनों केे लिए बल्कि जन-जन के लिए हैं।
श्रुतज्ञान की शोभायात्रा
संस्कृत के विद्वान पंडित डॉ. गणपति के साथ ही श्री वासू पूज्य जैन श्वेताम्बर ट्रस्ट हुब्बल्ली के शांतिलाल जैन एवं जैन मरुधर संघ के जयंतीलाल परमार ने विमोचन किया। जैन राजू राठौड़ ने कविता वाचन किया। इससे पहले शासन स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में शासन ध्वजारोहण मंदिर के प्रांगण में हुआ। इसके बाद चतुर्विद संघ के साथ बाजते-गाजते श्रुतज्ञान की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा प्रमुख मार्गों से होते हुए वासू पूज्य नूतन भवन पहुंची। इसके बाद गणमान्य लोगों की उपस्थिति में ग्रन्थ रत्न का विमोचन हुआ।

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