इस शख्स का नाम है मुजफ्फर कायासन (Muzaffer Kayasan), जो पिछले एक साल से भी अधिक समय से अस्पताल में है। वह हर बार कोरोना पॉजिटिव होने के बाद सोचता है कि ठीक होने के बाद वह घर जा पाएगा, लेकिन अफसोस कि उसकी ये इच्छा बस इच्छा बनकर ही रह गई है। न तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है और न ही वो घर जा पाता है। यहां तक कि पॉजिटिव होने की वजह से उसे कोरोना का टीका भी नहीं लगाया गया है।
एक मीडिया वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 56 वर्षीय मुजफ्फर कायासन पहली बार साल 2020 के नवंबर महीने में कोरोना से संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और तब से वो लगातार क्वारंटीन ही हैं। हालांकि कुछ दिनों के बाद उनमें कोरोना के लक्षण दिखने तो बंद हो गए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव ही नहीं आई।
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पिछले 14 महीने में कायासन का 78 बार कोरोना टेस्ट हो चुका है, लेकिन हर बार उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव ही आती है। ऐसे में मजबूरन उन्हें क्वारंटीन रहना पड़ रहा है, चाहे अस्पताल में हों या घर में। इस वजह से उनकी सोशल लाइफ तो लगभग खत्म ही हो गई है।
न तो वो अपने घरवालों के साथ ही वक्त बिता पा रहे हैं और न ही दोस्तों से मिलजुल पा रहे हैं। हालांकि खिड़की के जरिये और दूर से ही वो अपने परिवार वालों से थोड़ी बहुत बातचीत जरूर कर लेते हैं, लेकिन उन्हें छू नहीं पाने का गम उन्हें हर वक्त सताता रहता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कायासन ल्यूकेमिया से पीड़ित हैं। यह एक तरह का ब्लड कैंसर है, जिसमें व्हाइट ब्लड सेल्स कम हो जाते हैं, जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और इस वजह से मरीज की इम्यूनिटी बेहद ही कम हो जाती है।
यहीं वजह है कि कायासन के ब्लड से कोरोना वायरस खत्म ही नहीं हो पा रहा है। हालांकि उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं दी जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें ठीक होने में काफी वक्त लग सकता है।