बताया जाता है कि इस बार सफेद कौवा मध्य प्रदेश के दतवाड़ा में देखा गया है। कौवों के रंग में बदलवा के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। जानकारों के मुताबिक सफेद कौवा भी दूसरे काले कौवे जैसा ही होता है, लेकिन अनुवांशिक दोष ल्यूसीज्म की वजह से कुछ कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनके शरीर पर कहीं ना कहीं सफेद धब्बा होता है।
कौवे के सफेद से काले होने के पीछे एक आध्यात्मिक कारण भी है। मान्यता है कि काफी समय पहले पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने भेजा और उसे आदेश दिया कि वो सिर्फ अमृत की जानकारी ला कर दे लेकिन उसे पीना नहीं है। मगर अमृत को देख कौवे को इसे पीने की लालसा हुई। उसे अमृत पी लिया और उसके बाद इसकी जानकारी साधु को दी। साधु कौवे पर नाराज हो गए और उसे श्राप दिया कि उसने अपनी जिस अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को जूठा किया है इसलिए लोग उससे घृणा करेंगे और अशुभ मानेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने सफेद कौवे को अपने कमंडल के जल में डूबोकर उसे काला बना दिया। माना जाता है कि तब से ही कौवों की प्रजाति काले रंग की होती है।