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पति के साथ और प्रोत्साहन से दो साल में ही जागृति साहू को दुर्ग की मशरूम लेड़ी का खिताब भी मिल गया। आज जागृति मशरूम उत्पादन की नेशनल लेवल की प्रशिक्षक बन गई हैं। उन्होंने कई कठिनाईयों का सामना करते हुए यह मंजिल तय की। आइए जानते हैं उनके संघर्ष की दास्तान
पांच हजार से शुरू किया मशरूम उत्पादन
जागृति ने शुरुआत में पांच हजार रुपए से मशरूम उत्पादन शुरू किया। इसके बाद बिहान योजना के तहत बैंक लिंकेज के माध्यम से 99 हजार रुपए का लोन लिया और अपने उत्पादन की यूनिट को बड़ा रुप दिया। गायत्री महिला स्वसहायता समूह का गठन किया। जागृति बताती हैं कि उनके समूह में 12 महिलाएं हैं।
जागृति ने शुरुआत में पांच हजार रुपए से मशरूम उत्पादन शुरू किया। इसके बाद बिहान योजना के तहत बैंक लिंकेज के माध्यम से 99 हजार रुपए का लोन लिया और अपने उत्पादन की यूनिट को बड़ा रुप दिया। गायत्री महिला स्वसहायता समूह का गठन किया। जागृति बताती हैं कि उनके समूह में 12 महिलाएं हैं।
वर्ष 2018 से लेकर अब तक उन्होंने छह लाख रुपए की आमदनी अर्जित की है। अब तक उन्होंने 850 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है, जिसमें 750 महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर अपनी आमदनी अर्जित कर रही हैं। इस तरह अपना सपना टूटने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और न केवल खुद अपने पैरों पर खड़ी हुई वरन आज सैकड़ों अन्य महिलाओं की भी मदद कर रही हैं।