क्या है विटिलिगो बीमारी : what is vitiligo disease : Vijay Verma vitiligo disease
विटिलिगो, जिसे सफेद दाग की समस्या के रूप में जाना जाता है, एक दुर्लभ बीमारी है। यह स्थिति शरीर के किसी भी हिस्से में पिगमेंटेशन की कमी के कारण त्वचा के प्राकृतिक रंग के गायब होने का कारण बनती है, जिससे सफेद धब्बे उत्पन्न होते हैं। चिकित्सकों के अनुसार, विटिलिगो में शरीर में मेलानिन का उत्पादन करने वाले कोशिकाएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर सफेद दाग प्रकट होते हैं।
विटिलिगो बीमारी के लक्षण : symptoms of vitiligo disease
विटिलिगो (सफेद दाग) का मुख्य संकेत या लक्षण, त्वचा के रंग में हानि या त्वचा पर सफ़ेद दाग उत्पन्न होना है। आम तौर पर, यह सफ़ेद दाग (धब्बे) सूर्य के संपर्क में आने वाली त्वचा, जैसे हाथ, पैर, बाहों, चेहरे और होंठों पर दिखाई देते हैं। विटिलिगो (vitiligo) के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जाता है। - त्वचा पर सफेद दाग आना और समय के साथ उनमें वृद्धि होना
- सिर, पलकों, भौहें या दाढ़ी के बाल समय से पहले ही भूरे होना
- रेटिना की भीतरी परत के रंग में परिवर्तन
- शरीर के एक तरफ छोटे सफेद दागों होना
- सफ़ेद धब्बों का बार-बार होना
- धब्बों के किनारों पर थोड़ी सी लालिमा दिखाई देना साथ ही कभी-कभी खुजली होना
विटिलिगो बीमारी से बचने के उपाय : Ways to prevent vitiligo disease
विटिलिगो का कोई निश्चित उपचार अभी तक उपलब्ध नहीं है, और जो उपचार मौजूद हैं, वे केवल इसके प्रसार को रोकने में सहायक होते हैं। विटिलिगो के प्रारंभिक लक्षणों के प्रकट होने पर, दवाओं और क्रीमों के माध्यम से इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए लेजर चिकित्सा का भी उपयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, जब किसी व्यक्ति के शरीर में विटिलिगो (Vijay Verma vitiligo disease) का फैलाव पूरी तरह से रुक जाता है, तब नैरो बैंड थेरेपी का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। एक्साईमर लेजर के माध्यम से यूवीबी प्रकाश का उपयोग करके त्वचा में मेलानिन के उत्पादन को बढ़ाकर उसके प्राकृतिक रंग को पुनर्स्थापित किया जा सकता है, जिससे सफेद दाग के फैलने को रोका जा सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।