नींद के विशेषज्ञ डॉ. सिबासीश डे का कहना है कि भारत में नींद के महत्व के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है। उनकी राय में इसकी दो मुख्य वजह हैं – पहली ये कि डॉक्टर भी नींद और उसके फायदों के बारे में ज़्यादा नहीं पढ़ते हैं और दूसरी वजह है लगातार बढ़ते शहरों की वजह से नींद को कम महत्व दिया जाना।
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डॉ. डे का कहना है कि “हमारे देश में नींद के बारे में जानकारी बहुत कम है। इसकी दो वजह हैं. एक तो ये कि डॉक्टर नींद के बारे में कम पढ़ाई करते हैं और दूसरा ये कि शहर लगातार बढ़ रहे हैं जिसकी वजह से लोग सोने को ज़्यादा अहमियत नहीं देते. अगर उन्हें पता भी हो तो वो ये नहीं समझते कि अच्छी नींद लेना ज़रूरी है.”
इस सर्वे में ये भी पता चला है कि काम का तनाव नींद खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। 42% लोगों ने बताया कि उन्हें काम के तनाव की वजह से नींद नहीं आती। अध्ययन में ये भी पाया गया कि वो लोग जो अच्छी तरह सो पाते हैं वो काम में ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।
एक दूसरी स्टडी, “वेकफिट ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड (जीआईएसएस) 2024” में ढाई लाख भारतीयों की नींद के बारे में पता लगाया गया। मार्च 2023 से फरवरी 2024 तक कराए गए इस सर्वे में भी यही पाया गया कि लोग अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं।
इस स्टडी में नींद खराब होने के दो मुख्य कारण बताए गए हैं – रात को ज़्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना और बढ़ता हुआ तनाव. सोने से ठीक पहले बहुत से लोग सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से देर से सोते हैं और उनकी नींद खराब होती है।