शोध की प्रमुख बातें
अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों की नींद की अवधि में 60 मिनट से अधिक का परिवर्तन होता है, उनमें मधुमेह (Diabetes) का खतरा उन लोगों की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक होता है जिनकी नींद की अवधि में 60 मिनट से कम का बदलाव होता है। शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन बायोबैंक डेटासेट से 84,000 से अधिक प्रतिभागियों की निगरानी की, जिनकी औसत आयु 62 वर्ष थी और वे शुरू में मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित नहीं थे।नींद के पैटर्न का महत्व The importance of sleep patterns
अमेरिका में ब्रिघम एवं महिला अस्पताल में शोधार्थी और अध्ययन की लेखिका सिना कियानेर्सी ने कहा कि यह अध्ययन ‘टाइप 2’ मधुमेह (Type 2 Diabetes) को कम करने की रणनीति के रूप में नींद के ‘पैटर्न’ के महत्व को रेखांकित करता है। अध्ययन ने यह भी पाया कि जो लोग अधिक समय तक सोते हैं और जिनमें मधुमेह का आनुवांशिक जोखिम कम होता है, उनमें यह संबंध “अधिक स्पष्ट” पाया गया है।अन्य कारकों का प्रभाव
शोधार्थियों ने पाया कि जीवनशैली, स्वास्थ्य स्थितियों, पर्यावरणीय कारकों और शरीर में वसा को समायोजित करने के बाद, अनियमित नींद से मधुमेह का खतरा (Irregular sleep increases the risk of diabetes) घटकर 11 प्रतिशत रह गया। उन्होंने माना कि सोने की सात दिनों की अवधि का आकलन करने से दीर्घकालिक नींद के ‘पैटर्न’ का पता नहीं चल सकता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीवनशैली में इस बदलाव से ‘टाइप 2’ मधुमेह (Type 2 Diabetes) के खतरे को कम किया जा सकता है। यह अध्ययन यह बताता है कि स्वस्थ जीवनशैली और नियमित नींद के पैटर्न को अपनाकर ‘टाइप 2’ मधुमेह (Type 2 Diabetes) के खतरे को कम किया जा सकता है। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि नींद की अनियमितता (Irregular sleep) हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है और हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।