क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस? What is Japanese encephalitis?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक जूनोटिक वायरल रोग है, जो जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) के कारण होता है। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छरों के माध्यम से फैलती है। पशु, पक्षी (खासकर एर्डीडी परिवार जैसे बगुले और जलमुर्गी) और सूअर इस वायरस के प्रमुख स्रोत हैं।
इंसान इस बीमारी के “आकस्मिक मेजबान” होते हैं, यानी वे वायरस के फैलाव में बड़ी भूमिका नहीं निभाते।
इंसान इस बीमारी के “आकस्मिक मेजबान” होते हैं, यानी वे वायरस के फैलाव में बड़ी भूमिका नहीं निभाते।
जापानी इंसेफेलाइटिस रोग के लक्षण Symptoms of Japanese encephalitis disease
जापानी इंसेफेलाइटिस के लक्षण अन्य वायरल इंसेफेलाइटिस से मिलते-जुलते हैं। इनमें शामिल हैं: बुखार और सिरदर्दमेंटल डिसऑर्डर: सुस्ती, भ्रम, या कोमा।
तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव: कंपन, पक्षाघात, मांसपेशियों में जकड़न।
गंभीर मामलों में: मस्तिष्क में सूजन, मेमोरी लॉस, या लंबे समय तक चलने वाली मानसिक समस्याएं।
बीमारी का प्रभाव और मृत्यु दर
– गंभीर मामलों में मृत्यु दर 20% से 30% तक हो सकती है।– जीवित बचे लोगों में से कई को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे स्मृति हानि और मानसिक अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
– इस बीमारी का तेजी से इलाज न होने पर यह घातक हो सकती है।
जापानी इंसेफेलाइटिस इलाज और रोकथाम Japanese encephalitis treatment and prevention
इलाज इस बीमारी का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज उपलब्ध नहीं है। मरीजों को लक्षणों के अनुसार सहायक उपचार दिया जाता है। बुखार और दर्द के लिए पेरासिटामोल।निर्जलीकरण रोकने के लिए पर्याप्त जल और IV फ्लूइड।
वैक्सीन की उपलब्धता
भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme) में जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन शामिल है। निष्क्रिय (Killed) वैक्सीन:
अधिकतर प्रयोग की जाती है।
लाइव अटेनुएटेड वैक्सीन:
लंबी अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।
दिल्ली का मामला
दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्र के 72 वर्षीय एक मरीज में यह बीमारी पाई गई।
पृष्ठभूमि: मरीज को डायबिटीज, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं थीं।
मरीज की स्थिति स्थिर है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
वैक्सीन: उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों में निवासियों और यात्रियों के लिए वैक्सीन अनिवार्य।
पानी के ठहराव को रोकना: चावल के खेत, दलदल, और स्थिर जल स्रोत मच्छरों के प्रजनन स्थल हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए व्यक्तिगत सावधानी और सामुदायिक प्रयास आवश्यक हैं। हालांकि यह एक गंभीर बीमारी है, समय पर पहचान और रोकथाम से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
मरीज की स्थिति स्थिर है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
रोग से बचाव के उपाय
मच्छरों से बचाव: मच्छरदानी, मच्छर निरोधक क्रीम, और साफ-सफाई।वैक्सीन: उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों में निवासियों और यात्रियों के लिए वैक्सीन अनिवार्य।
पानी के ठहराव को रोकना: चावल के खेत, दलदल, और स्थिर जल स्रोत मच्छरों के प्रजनन स्थल हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए व्यक्तिगत सावधानी और सामुदायिक प्रयास आवश्यक हैं। हालांकि यह एक गंभीर बीमारी है, समय पर पहचान और रोकथाम से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।