हार्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक टीके लगवाने के एक साल तक ये हार्ट को सुरक्षा देते हैं। वैक्सीनेशन के करीब 10-12 महीने तक वैक्सीन रक्त के थक्के कम करने में भी मददगार पाई गई। शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन ले चुके लोग अगर संक्रमण के शिकार होते भी हैं तो उनमें अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का खतरा कम रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की शुरुआत से ही चर्चा होती रही है कि कोरोना वायरस से संक्रमितों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो सकती है। शोध में दावा किया गया कि टीकों की मदद से कोरोना के इस गंभीर दुष्प्रभावों से बचाव किया जा सकता है।
दो करोड़ लोगों के डेटा का विश्लेषण शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन, स्पेन और एस्टोनिया में रहने वाले दो करोड़ से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया। करीब आधे लोगों को बायोएनटेक/फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका या जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगाई गई थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक ज्यादातर लोगों में इन टीकों के दुष्प्रभाव नहीं पाए गए। टीकों को लेकर किसी तरह की चिंता की जरूरत नहीं है। ये पूरी तरह सुरक्षित पाई गईं।
गंभीर जोखिम घटाने में मददगार ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक नूरिया मर्केड बेसोरा कहते हैं, हमारे निष्कर्ष इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि कोरोना के टीके संक्रमण को कम करने में प्रभावी हैं और गंभीर जोखिमों को भी कम करते हैं। इससे पहले के अध्ययनों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि कोरोना वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग का खतरा हो सकता है।