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सिर्फ कागजों पर सिमटा सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

केएसपीसीबी और बीबीएमपी समय-समय पर छापेमारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेता है।

बैंगलोरJul 03, 2024 / 07:51 pm

Nikhil Kumar

– 8 वर्षों में भी नहीं मिली कामयाबी

– बीबीएमपी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विफल

– प्रतिबंध महज दिखावा : विशेषज्ञ

– अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस

निखिल कुमार.

Karnataka ने वर्ष 2016 में एकल उपयोग प्लास्टिक या सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाया और ऐसा करने वाला पहला राज्य बना। लेकिन, करीब आठ वर्ष बाद भी कोई विशेष सफलता नहीं मिली है। प्रतिबंध कागजों तक ही सीमित है। एसयूपी का उपयोग धड़ल्ले से जारी है।
कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) से अपेक्षा की गई थी कि वह Single Use Plastic के डिफॉल्टर उत्पादकों पर जुर्माना लगाएगा जबकि बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका बोर्ड (बीबीएमपी) को इन प्रतिबंधित वस्तुओं के खुदरा विक्रेताओं, विक्रेताओं और उपयोगकर्ताओं पर जुर्माना लगाना था। केएसपीसीबी और बीबीएमपी समय-समय पर छापेमारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेता है।
अभियान लड़खड़ा गया

अधिकारियों के अनुसार उन्होंने प्रतिबंध को लागू करने के लिए कई परियोजनाएं बनाईं, लेकिन बीते कुछ वर्षो में अभियान लड़खड़ा गया। कोविड महामारी के दस्तक देने के बाद से प्रतिबंध नियंत्रण से बाहर हो गया। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार महामारी से पहले भी संबंधित एजेंसियां प्रतिबंध को लागू करने में विफल थीं।
बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कुछ हद तक प्रभावी

कागज के थैलों के उपयोग के साथ बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में यह प्रतिबंध कुछ हद तक प्रभावी रहा। जमीनी स्तर पर, दूध की दुकानों से लेकर पड़ोस के सब्जी विक्रेताओं तक, कोई भी सस्ते और आसानी से उपलब्ध प्लास्टिक थैलों Plastic Bags के उपयोग को कम नहीं कर सका। प्लास्टिक निर्माताओं ने एसयूपी उत्पादों का उत्पादन बंद किया, लेकिन आंतरिक औद्योगिक क्षेत्रों में कुछ कारखानों ने इनका उत्पादन जारी रखा।
कार्रवाई के साथ जागरूकता जरूरी

बीबीएमपी अधिकारियों का कहना है कि वे पिछले आठ वर्षों से प्रवर्तन के काम में लगे हुए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि क्षेत्रीय टीमें सप्ताहांत में वाणिज्यिक क्षेत्रों का दौरा करती हैं और जागरूकता अभियान चलाती हैं। उल्लंघन के मामले पकड़े जाने पर उचित कार्रवाई भी होती है।
राजनीतिक दल भी पीछे नहीं

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अन्य अधिकारी ने कहा, प्रतिबंध के बावजूद लोकसभा चुनाव, राजनीतिक अभियानों और रैलियों में एसयूपी का इस्तेमाल हुआ। चुनाव आयोग ने भी प्रचार और रैलियों के दौरान प्लास्टिक का उपयोग न करने के निर्देश दिए थे। संबंधितों अधिकारियों के चुनाव ड्यूटी में व्यस्त होने के कारण एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति भी दयनीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत एकल-उपयोग प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम भी इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं।
बीबीएमपी के एक वरिष्ठ मार्शल के अनुसार नियम लागू किए जा रहे हैं। कचरे का पृथक्करण केवल कुछ ही स्थानों पर हो रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है। प्लास्टिक की बोतलों को एकत्र करके उनका पुनर्चक्रण किया जा रहा है, लेकिन फ्लेक्स और बैनर पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है।
– ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञों ने बीबीएमपी की आलोचना करते हुए कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंध का बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है। बड़े बाजारों, किराने की दुकानों, होटलों, रेस्तराओं और सम्मेलन हॉल से लेकर सड़क विक्रेताओं तक, हर जगह सिंगल-यूज प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है।
– दुकानदारों का कहना है कि बहुत से ग्राहक ऑफिस से लौटते समय फल और सब्जियां खरीदने आते हैं। वे लोग अपने साथ कोई थैला नहीं रखते और केवल प्लास्टिक कवर मांगते हैं। कागज के थैले में आधा गीला उत्पाद रखने पर वह फट जाता है।
– यदि आप मांस की दुकान पर जाते हैं तो वे इसे एकल उपयोग प्लास्टिक में पैक करते हैं और फिर कार्रवाई से बचने के लिए इसे कागज के थैलों में डाल देते हैं।
-एक प्लास्टिक निर्माता ने कहा कि असंगठित क्षेत्रों में एसयूपी के उत्पादन को रोकना बड़ी चुनौती है। दूसरे राज्यों से लेकर सीमावर्ती जिलों से भी आमद है। विशेषकर कोविड के दौरान एसयूपी बिना रोक-टोक के वापस आ गया।
-विशेषज्ञों ने काले रंग के कचरे के बैग और बिन-लाइनर जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं की ऑनलाइन उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया साइट्स पर बीबीएमपी की चेतावनी के बाद तत्काल छापेमारी से बदलाव आ सकता है और ऐसे उल्लंघनों को खत्म किया जा सकता है।
इच्छाशक्ति, जिम्मेदारी की कमी

किसी ने भी प्लास्टिक प्रतिबंध को गंभीरता से नहीं लिया है। सबसे पहले बीबीएमपी को इच्छाशक्ति दिखानी होगी। विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी के तहत कंपनियों को अपने उत्पादों से उत्पन्न कचरे के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है। इसके अलावा, लोगों को भी यह महसूस करना होगा कि प्लास्टिक का उपयोग उनके और पर्यावरण के लिए हानिकारक है और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाने चाहिए। हम देखते हैं कि लोग खरीदारी करते समय अभी भी प्लास्टिक बैग की मांग करते हैं।
वी. रामप्रसाद, स्वच्छ सर्वेक्षण पर बीबीएमपी के सलाहकार

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