क्यों मनाते हैं यह दिवस
रोज डे कैंसर रोगियों के लिए मनाया जाता है। कैंसर से पीडि़त 12 साल की एक बच्ची मेलिंडा रोज ने इसकी शुरुआत की थी ताकि यह दिन कैंसर रोगियों को समर्पित किया जा सके। यह दिवस कैंसर रोगियों की खुशी से जुड़ा है। इस दिन उनकी खुशी से संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
इन रोगियों की खुशी के लिए यह करें
आपकी उपस्थिति – मरीज के लिए परिजनों की उपस्थिति बहुत मायने रखती है। इससे उन्हें बहुत समर्थन मिलता है। उनके प्रति कोई धारणाएं न बनाएं। बस उनके लिए सहज रूप से उपलब्ध रहें। उनकी बातें ध्यान से सुनें, उनके भावनात्मक बोझ को कम करने का प्रयास करें। उनकी भावनाओं को समझें और हमेशा बीमारी के बारे में ही बात न करें।
आपकी उपस्थिति – मरीज के लिए परिजनों की उपस्थिति बहुत मायने रखती है। इससे उन्हें बहुत समर्थन मिलता है। उनके प्रति कोई धारणाएं न बनाएं। बस उनके लिए सहज रूप से उपलब्ध रहें। उनकी बातें ध्यान से सुनें, उनके भावनात्मक बोझ को कम करने का प्रयास करें। उनकी भावनाओं को समझें और हमेशा बीमारी के बारे में ही बात न करें।
डॉक्टर भी रखें ध्यान
डॉक्टर्स को हमेशा मरीजों से अच्छे तरीके से बात करनी चाहिए। साथ ही बीमारी के बारे में भी उचित जानकारी देनी चाहिए। सही जानकारी मिलने पर वे चीजों को बेहतर तरीके से संभाल सकेंगे। साथ ही बीमारी की गंभीरता और उससे उत्पन्न चुनौतियों के बारे में भी उन्हें अवगत कराना चाहिए।
डॉक्टर्स को हमेशा मरीजों से अच्छे तरीके से बात करनी चाहिए। साथ ही बीमारी के बारे में भी उचित जानकारी देनी चाहिए। सही जानकारी मिलने पर वे चीजों को बेहतर तरीके से संभाल सकेंगे। साथ ही बीमारी की गंभीरता और उससे उत्पन्न चुनौतियों के बारे में भी उन्हें अवगत कराना चाहिए।
उपलब्धियों पर प्रशंसा करें
जैसे मरीज अगर कोई कपड़ा पहनने में असमर्थ रहा हो या खाने में दिक्कत रही हो और वे अब ऐसा कर पाते हैं, तो इसे सेलिब्रेट करें। कैंसर से उबर चुके मरीज दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारे जैसे लोग भी इस बीमारी से लडक़र जीत सकते हैं।
जैसे मरीज अगर कोई कपड़ा पहनने में असमर्थ रहा हो या खाने में दिक्कत रही हो और वे अब ऐसा कर पाते हैं, तो इसे सेलिब्रेट करें। कैंसर से उबर चुके मरीज दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारे जैसे लोग भी इस बीमारी से लडक़र जीत सकते हैं।