हरदोई

रुईयागढ़ी के राजा नरपत सिंह ने छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, अब गुमनाम हैं

रुइया स्मारक समिति की मांग पर्यटन स्थल घोषित हो रुइया गढ़ी ….

हरदोईJan 22, 2018 / 08:50 pm

Hariom Dwivedi

नवनीत द्विवेदी
हरदोई. जिले मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित रूइया गढ़ी आज भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ी गई जंग की वीरता की गाथा की याद दिलाती है। 1857 की क्रांति की यादे संजोए हुए रूइया दुर्ग जनपद ही नहीं बल्कि देश के लिए फक्र और गर्व की गाथा है। माधौगंज कस्बे से उत्तर दिशा में लगभग चार किमी दूर छोटा सा गांव रूइया है। यहां 1857 की क्रांति की याद दिलाता टीला है, जो तीन तरफ से झीलनुमा तालाब से घिरा है। 2000 के दशक में टीले के पास में राजा नरपति सिंह की याद में स्मारक निर्माण के साथ उनकी मूर्ति स्थापना हो चुकी है। यह रूइया गांव रूइया दुर्ग या रूमगढ़ नाम से प्रसिद्घ रहा। यहां के राजा रहे नरपति सिंह ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ 1857 में बिगुल बजाते हुए अंग्रेजों पर काल बन कर तलवार भांजी थी और आजादी की जंग की वीर गाथा लिखी थी। उस समय राजा नरपति सिंह ने करीब डेढ़ वर्ष तक अंग्रेजों से लोहा लिया और तमाम अंग्रेजी हुकुमत के सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था और हरदोई में अंग्रेजों को न घुसने दिया और न ही अपने जीवित रहते शासन करने दिया था।
बताया जाता है कि बाजीराव पेशवा द्वितीय के सुपुत्र नाना जी के यहां से भेजे गए 1857 की क्रांति के दूत लाल कमल का फूल तथा रोटी का टुकड़ा रूपी जंग ए आजादी के संदेश जब नरपति सिंह को मिले थे, तब उन्होंने सन्देश को माथे से लगाकर नरपति सिंह ने प्रण किया कि अंग्रेजों को क्षेत्र से मिटाकर स्वराज्य कायम रखेंगे। उस समय हरदोई जिले का मुख्यालय रूइया दुर्ग के पड़ोस में ही मल्लावां में हुआ करता था । राजा नरपति सिंह ने आठ जून 1857 को मल्लावां में अंग्रेजों पर आक्रमण कर दिया था। अंग्रेज अधिकारियों एवं सिपाहियों को काल के गाल तक पहुंचा दिया। उस समय जिले का डिप्टी कमिश्नर डब्ल्यू सी चैपर भागने में सफल हो गया था। इसके बाद अंग्रेजों ने राजा नरपति सिंह भारी बल के साथ हमला बोल दिया। राजा नरपति सिंह पर चार आक्रमण किए गए। प्रथम 15 अप्रैल 1858 रूइया दुर्ग पर, दूसरा 22 अप्रैल 1858 रामगंगा किनारे सिरसा ग्राम पर, तीसरा 28 अक्तूबर 1858 को पुन रूइया दुर्ग पर, चौथा 9 नवंबर 1858 को मिनौली पर इसके बाद जनपद में नरपति सिंह को छोड़ सभी राजा, नवाब, जमीदार अंग्रेजों के अनुयायी हो गए थे । राजा नरपति व अंग्रेजों में करीब डेढ़ साल युद्घ जारी रहा। एक तरफ अंग्रेजों की बड़ी बड़ी तोपों से सजी सेना तो दूसरी तरफ नरपति सिंह की हौंसले से भरे सैनिक खूब मुकाबला हुआ और तमाम अंग्रेज अफसरों को नरपति सिंह के वीर सैनिकों ने मार गिराया। डेढ़ साल तक चले युद्ध के बाद नरपति सिंह शहीद हो गए । आज भी उनकी वीर गाथा और उनकी स्मृति में स्थापित स्मारक मूर्ति उनकी वीरता की यादें दिलाती है ।
रुइया स्मारक समिति की मांग पर्यटन स्थल घोषित हो रुइया गढ़ी
हरदोई में आजादी की क्रांति के नायक वीर शहीद राजा नरपत सिंह की याद में प्रिया कड़ी में स्मारक का निर्माण 2000 के दशक में तो हो गया था लेकिन आज भी इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित नहीं किया जा सका है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सोमवंशी और क्षेत्रीय लोगों के तमाम प्रयासों के चलते इस मार्ग का लोकार्पण पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था तमाम लोगों की भावनाएं विश्वास जुड़ा हुआ है करीब 100 एकड़ में स्मारक के आसपास हरियाली क्षेत्र और झील और तालाब स्थित है जिसके चलते पिछले लंबे समय से इस चित्र को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग की जा रही है व्यास स्मारक समिति के अध्यक्ष धर्म सिंह सोमवंशी , कोषाध्यक्ष नवल महेश्वरी सहित समाज से जुड़े लोग और जिले के लोग इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं अशोक सिंह मुनौरापुर बताते हैं की क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित कराये जाने के लिए उन्होंने कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह से समिति के पदाधिकारियों के साथ मुलाकात की थी और ज्ञापन भी दिए थे तत्कालीन सांसद जयप्रकाश ने भी प्रयास किए जिसके चलते स्मारक बन गया लेकिन अभी भी पर्यटन स्थल बनाए जाने की मांग अधूरी है।
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क्षेत्रीय विधायक कर रहे हैं प्रयास
लोगों ने बताया कि स्मारक को लेकर के शासन-प्रशासन के स्तर से कोई सुविधाएं न दिए जाने से बदहाली है। यहां पर विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं लेकिन क्षेत्रीय विधायक आशीष सिंह आशु लगातार प्रयास कर रहे हैं, जिससे करीब 100 एकड़ वाले इस स्मारक एरिया के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने की उम्मीद है।
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लोग बोले- स्मारक स्थल को पर्यटन स्थल बनाया जाना चाहिए
भारतीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि ऐसे वीर सपूत की महान गाथा को समेटे स्मारक स्थल को पर्यटन स्थल बनाया जाना चाहिए, ताकि पूरे विश्व में यहां की वीर गाथा को लोग जाने और भृमण करने आ सकें। भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज दीक्षित कहते हैं कि रुइया गढ़ी स्मारक के अध्यक्ष एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में हम सब लोगों ने यहां पद यात्रा की और आज भी धर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में हम लोग लगातार इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं। बताया कि धर्मेंद्र सिंह के प्रयासों के चलते ही स्मारक का निर्माण हो गया लेकिन अभी भी पर्यटन स्थल की मांग अधूरी है और शासन प्रशासन की तरफ से इस ओर ध्यान न दिए जाने के कारण इस ऐतिहासिक और वीर गाथा के प्रतीक स्थल का विकास और देखभाल नहीं हो रही है।
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