पुस्तक जातिवाद के इतिहास को दर्शाएगी
उन्होंने अपनी पुस्तक जाति ना पूछों के बारे में बताया कि यह पुस्तक जातिवाद के इतिहास को दर्शाएगी और साथ ही अब तक इसका हमारे समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है इसी उद्देश्य के साथ यह लोगों के बीच आ रही है। उन्होंने बताया कि ये उनके लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है। क्योंकि वह इसमें समाज में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ एक नई जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने अपनी पुस्तक जाति ना पूछों के बारे में बताया कि यह पुस्तक जातिवाद के इतिहास को दर्शाएगी और साथ ही अब तक इसका हमारे समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है इसी उद्देश्य के साथ यह लोगों के बीच आ रही है। उन्होंने बताया कि ये उनके लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है। क्योंकि वह इसमें समाज में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ एक नई जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है।
आज के हिसाब से ऐसे कंटेंट लिखता है जो किसी काम की नहीं
उन्होंने बताया कि आज हम देख रहे हैं कि कोई भी समाज में जागरूकता लाने के लिए एक लेखक अपना कलम नहीं उठाता बल्कि मॉडर्न जमाने में खुद को ट्रेंडिंग रखने के लिए आज के हिसाब से ऐसे कंटेंट लिखता है जो किसी काम की नहीं होती। पहले के दौर में एक लेखक अपने कलम द्वारा लोगों में बदलाव लाने की क्षमता रखता था। उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि लोगों में बदलाव आए या ना आए लेकिन एक लेखक अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था लेकिन आज यह हमें ना के बराबर दिखता है।
उन्होंने बताया कि आज हम देख रहे हैं कि कोई भी समाज में जागरूकता लाने के लिए एक लेखक अपना कलम नहीं उठाता बल्कि मॉडर्न जमाने में खुद को ट्रेंडिंग रखने के लिए आज के हिसाब से ऐसे कंटेंट लिखता है जो किसी काम की नहीं होती। पहले के दौर में एक लेखक अपने कलम द्वारा लोगों में बदलाव लाने की क्षमता रखता था। उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि लोगों में बदलाव आए या ना आए लेकिन एक लेखक अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था लेकिन आज यह हमें ना के बराबर दिखता है।
यह पुस्तक समाज में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करेगी। यह एक समृद्ध समाज की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास होगा। अंशुमन भगत का कहना है कि यह पुस्तक उन लोगों के लिए होगी जो लोग जातिवाद से प्रभावित होते हैं। चाहे हम गांव या छोटे कस्बों की बात करें तो उच्च जाति के लोग छोटे जातियों के प्रति घृणा और छूत-अछूत जैसे व्यवहार आज भी करते हैं।
अपनी आने वाली पुस्तकों के बारे में जानकारी दी
कई लोगों उन्हें शिक्षा से वंचित रखते है, जो की एक अज्ञानता की निशानी है, इसके अलावा इस पुस्तक में छोटी जातियों को मिलने वाले सरकार द्वारा कोटा के रूप में लाभ से क्या परेशानी अन्य जातियों को होती है इसपर भी खुलकर उल्लेख किया गया हैं, इस पुस्तक के माध्यम से लेखक का उद्देश्य यही है कि इस धरती पर हर एक मानव का अधिकार समान है, और विकास हर एक के लिए समान होना चाहिए पूरी मानव जाति का कल्याण जातिवाद के आधार पर कभी नहीं हो सकता। इसके अलावा प्रख्यात कवि ईश्वर चंद्र गंभीर, विनय नोंक, अलका वशिष्ठ ने भी अपने विचार रखे। लेखकों ने अपनी आने वाली पुस्तकों के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में सभी लेखकों का पटका पहनाकर स्वागत किया गया।
कई लोगों उन्हें शिक्षा से वंचित रखते है, जो की एक अज्ञानता की निशानी है, इसके अलावा इस पुस्तक में छोटी जातियों को मिलने वाले सरकार द्वारा कोटा के रूप में लाभ से क्या परेशानी अन्य जातियों को होती है इसपर भी खुलकर उल्लेख किया गया हैं, इस पुस्तक के माध्यम से लेखक का उद्देश्य यही है कि इस धरती पर हर एक मानव का अधिकार समान है, और विकास हर एक के लिए समान होना चाहिए पूरी मानव जाति का कल्याण जातिवाद के आधार पर कभी नहीं हो सकता। इसके अलावा प्रख्यात कवि ईश्वर चंद्र गंभीर, विनय नोंक, अलका वशिष्ठ ने भी अपने विचार रखे। लेखकों ने अपनी आने वाली पुस्तकों के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में सभी लेखकों का पटका पहनाकर स्वागत किया गया।