हनुमानगढ़. जिले में इन दिनों नरमा-कपास की फसल के दस हजारी बनने से व्यापारी व किसान उत्साहित हो रहे हैं। लगातार बढ़ रहे भाव से किसान व व्यापारियों में खुशी है। इससे मंडियों में कपास की आवक भी लगातार बढ़ रही है। जंक्शन मंडी की बात करें तो दो दिन पहले यहां पर नरमा-कपास की फसल १००२६ रुपए प्रति क्विंटल बिका था। इसी तरह टाउन मंडी में भी इसी भाव कारोबार हुआ। लेकिन इसके बाद लगातार मावठ का दौर जारी रहने तथा बूंदाबांदी होने की वजह से मंडी में नरमा की आवक फिर से कम हो गई है। साथ ही भाव भी पहले की तुलना में कुछ कम हो रहे हैं। व्यापारियों व किसानों को उम्मीद है कि मौसम साफ होने पर फिर से नरमा के भाव में तेजी आएगी। मंडी समिति हनुमानगढ़ के सचिव सीएल वर्मा ने बताया कि दो दिन पहले मंडी में नरमा के भाव में काफी तेजी आई थी। इससे आवक भी काफी बढ़ गई थी। दोनों मंडियों में दो दिन पहले तक करीब दस हजार क्विंटल आवक हो रही थी। लेकिन अब मौसम खराब होने की वजह से आवक आधी रह गई है। फैक्ट्रियों में कम मांग होने की वजह से इसके भाव भी दो दिनों में कुछ कम हुए हैं। मौसम साफ होने के बाद फिर तेजी के आसार बन रहे हैं। यदि रेट बढ़ते हैं तो इससे सभी को फायदा होगा।
मंडियों में यह हैं रेट
२१ जनवरी २०२२ को जिले की गोलूवाला मंडी में ९८४८ रुपए प्रति क्विंटल नरमा बिका। इसी तरह जंक्शन मंडी में ९५००, टाउन में ९५४९, पीलीबंगा में ९४००, रावतसर में ९६५० व संगरिया मंडी में ९६०० रुपए प्रति क्विंटल नरमा बिका। जबकि इससे पहले जंक्शन व टाउन मंडी में दस हजार से अधिक रुपए प्रति क्ंिवटल तक नरमा के भाव लगे थे।
२१ जनवरी २०२२ को जिले की गोलूवाला मंडी में ९८४८ रुपए प्रति क्विंटल नरमा बिका। इसी तरह जंक्शन मंडी में ९५००, टाउन में ९५४९, पीलीबंगा में ९४००, रावतसर में ९६५० व संगरिया मंडी में ९६०० रुपए प्रति क्विंटल नरमा बिका। जबकि इससे पहले जंक्शन व टाउन मंडी में दस हजार से अधिक रुपए प्रति क्ंिवटल तक नरमा के भाव लगे थे।
हुई अच्छी पैदावार
बीते खरीफ सीजन में नरमा-कपास की अच्छी पैदावार होने के साथ ही इस बार किसानों को कुछ रेट भी ठीक मिल रहे हैं। सीजन में खरीद के शुरुआती दौर में ही अच्छे रेट मिलने शुरू हो गए थे। इसके कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी शुरू नहीं हो पाई। क्योंकि इससे अधिक रेट बाजार में किसानों को मिल रहा था। अब नरमा-कपास के दस हजारी बनने से किसान काफी उत्साहित हो रहे हैं।
बीते खरीफ सीजन में नरमा-कपास की अच्छी पैदावार होने के साथ ही इस बार किसानों को कुछ रेट भी ठीक मिल रहे हैं। सीजन में खरीद के शुरुआती दौर में ही अच्छे रेट मिलने शुरू हो गए थे। इसके कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी शुरू नहीं हो पाई। क्योंकि इससे अधिक रेट बाजार में किसानों को मिल रहा था। अब नरमा-कपास के दस हजारी बनने से किसान काफी उत्साहित हो रहे हैं।
करोड़ों का कारोबार
जिले में खरीफ सीजन में नरमा-कपास प्रमुख खेती मानी जाती है। नकदी फसल होने की वजह से किसान इसमें रुचि दिखाते हैं। जिले की जीडीपी में भी कपास की फसल का अहम योगदान है। कई जिनिंग फैक्ट्रियों में करोड़ों रुपए का कारोबार हो रहा है। पूर्व में सहकारिता क्षेत्र में संचालित सहकारी स्पिनिंग मिल में धागे का निर्माण जब होता था तो उस वक्त मिल के स्टॉफ भी मंडी में कपास खरीदने को आते थे। इस तरह जिले के आर्थिक विकास में कपास की खेती का अहम योगदान है।
जिले में खरीफ सीजन में नरमा-कपास प्रमुख खेती मानी जाती है। नकदी फसल होने की वजह से किसान इसमें रुचि दिखाते हैं। जिले की जीडीपी में भी कपास की फसल का अहम योगदान है। कई जिनिंग फैक्ट्रियों में करोड़ों रुपए का कारोबार हो रहा है। पूर्व में सहकारिता क्षेत्र में संचालित सहकारी स्पिनिंग मिल में धागे का निर्माण जब होता था तो उस वक्त मिल के स्टॉफ भी मंडी में कपास खरीदने को आते थे। इस तरह जिले के आर्थिक विकास में कपास की खेती का अहम योगदान है।