scriptइकलौता मंदिर जहां भोलेनाथ के सामने बैठे हैं यमराज, भक्तों की हर मनोकामना यहां होती है पूरी | Yamraj worshiped after lord shiva in 350 year old Markandeshwar Mahadev temple fulfill Every wishes of devotees | Patrika News
ग्वालियर

इकलौता मंदिर जहां भोलेनाथ के सामने बैठे हैं यमराज, भक्तों की हर मनोकामना यहां होती है पूरी

350 साल प्राचीन मंदिर में भगवान के बाद यमराज की हुई पूजा, भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं मारकंडेश्वर महादेव।

ग्वालियरAug 07, 2023 / 05:47 pm

Faiz

markandeshwar mahadev mandir gwalior

इकलौता मंदिर जहां भोलेनाथ के सामने बैठे हैं यमराज, भक्तों की हर मनोकामना यहां होती है पूरी

सावन के पांचवें सोमवार पर जहां एक तरफ देशभर के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ ग्वालियर में स्थित प्राचीन भगवान मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। सुबह 4 बजे भगवान मारकंडेश्वर महादेव का विशेष अभिषेक पूजन किया गया। खास बात ये है कि, ऐसा इकलौता मंदिर है जहां महादेव के साथ-साथ यमराज की भी प्रतिमा मौजूद है।

इस मंदिर में पूजा अर्चना की विशेष मान्यताएं हैं। मंदिर में अकाल मृत्यु भय, मार्केश योग समेत गंभीर बीमारियों से पीड़ित दूरदराज से पूजा-अर्चना करने यहां आते हैं। श्रद्धालुओं जल, फल, फूल, माला, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ की भक्ति करते हैं।

 

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क्या है मान्यता ?

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वेद पुराणों और पौराणिक कथाओं में मारकंडेश्वर महादेव और उनके प्रकट होने का कारण बताया गया है। मंदिर की देखरेख और पूजा-अर्चना मनोज शास्त्री करते हैं। उनका कहना है कि, इससे पहले उनके पूर्वज इस मंदिर की सेवा किया करते रहे थे। ये सिलसिला बीती 6 पीढ़ियों से यथावथ चला आ रहा है। पुरातन कथाओं के अनुसार, मार्कंडेय ऋषि शिव भक्त मुकुंड ऋषि की संतान हैं। शिव के भक्त मुकुंड ऋषि का जब अंत समय करीब आया तो भगवान शिव ने उन्हें साक्षात दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा।

 

मुकुंड ऋषि ने तुरंत ही शिवजी से संतान प्रदान करने को कहा, इसपर शिवजी ने उन्हें जवाब दिया कि, आपके भाग्य में संतान सुख नहीं है। आप कुछ और मांगे, लेकिन वो अपनी इसी बात पर अड़ गए, जिसके चलते भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया। इनकी संतान का नाम ही मार्कंडेय था, वो जब 5 वर्ष के थे तभी से वन जाकर पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने लगे, चूंकि उनकी आयु मात्र 12 वर्ष ही निर्धारित थी, इसलिए जब यमराज उन्हें लेने पहुंचे तो वो भोलेनाथ की पूजा कर रहे थे।

 

जब यमराज उन्हें ले जाने के लिए खींचा तो उन्होंने भोलेनाथ की पिंडी पकड़ ली, तब अपने भक्त की रक्षा के लिए खुद भोलेनाथ पिंडी चीरकर प्रकट हुए और यमराज को दंडित करने के लिए उनकी तरफ त्रिशूल बढ़ा दिया। बोलेनात को क्रोधित देख यमराज उनसे हाथ जोड़कर क्षमा याचना करते हैं। फूलबाग स्थित इस मंदिर में भगवान महादेव, यमराज और मार्कण्डेय ऋषि की मूर्तियों को स्थापित कर यहीं दर्शाया गया है।

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