यशवंत राव राणे ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय में न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि ललितपुर मौजे की सर्वे क्रमांक १२११/१, १२११/२, १२११/३, की 6 बीघा 4 विस्वा भूमि उनके मालिकाना हक की थी। इस जमीन पर उनके पिता खेती करते थे। जमीन उनके पिता के नाम दर्ज थी, लेकिन इस जमीन के खसरा के खाना नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम दर्ज किया गया। नाम दर्ज करने से पहले न उनको नोटिस दिया गया और न सूचना दी। उन्होंने गलत तरीके से जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी की। जमीन का हिस्सा नारायण बिल्डर को बेच दिया। कोर्ट ने कलेक्टर, नगर निगम, सिंधिया, नारायण बिल्डर्स एंड डेवलपर्स से जवाब मांगा, लेकिन सिंधिया की ओर से जवाब नहीं दिया गया, जिसके चलते कोर्ट ने सिंधिया को एक पक्षीय घोषित कर दिया। वादी के अधिवक्ता आरके सोनी का कहना है कि रजिस्ट्री भी शून्य की है। सिंधिया को जमीन बेचने का हक नहीं था। १२११/१, १२११/२, १२११/३, की 6 बीघा 4 विस्वा भूमि यशवंतराव राणे के मालिकाना हक की मानी है।
पूरे मामले को लेकर क्या कहा कोर्ट ने – सर्वे क्रमांक 1211/१ की 3 बीघा जमीन के खाना नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम कैसे आया। यह साबित करने का दायित्व माधवीराजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया व चित्रांगदा सिंह का था, लेकिन उन्होंने कोई मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किए।
– किस सक्षम प्राधिकारी ने कॉलम नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम दर्ज किया। यह भी स्पष्ट नहीं किया। – प्रतिवादीगण का दायित्व था कि उनके नाम जमीन का नामांतरण किसने किया। नारायण बिल्डर भी यह बताने में असफल रहा। विवादित भूमि माधवीराजे सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया व चित्रांगदा सिंह ने बेची है। सभी दस्तावेजों की विधिवत रूप से संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत जांच हो।
बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है जमीन पर – नारायण बिल्डर ने जमीन खरीदने के बाद बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है। इस जमीन फ्लैट तैयार कर विक्रय भी किए जा चुके हैं। साथ ही नया भवन तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा मैरिज गार्डन भी चल रहा है।
ृ- जमीन पर लगातार विवाद चल रहा है। जमीन को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर हुई थी। पीआईएल में जमीन को सरकारी बताया था।