ग्वालियर

घुसपैठिए अलमक्की का नेटवर्क ध्वस्त नहीं कर सकी पुलिस, भूल गई मददगारों को

सनसनीखेज मामले की केस डायरी को लेकर भी पुलिस उलझन में है, इससे जाहिर है कि घुसपैठिए का नेटवर्क खंगालने की कोशिश थम चुकी है, सिर्फ उसे जेल भेजकर पुलिस राहत में है

ग्वालियरSep 11, 2018 / 06:44 pm

Rahul rai

घुसपैठिए अलमक्की का नेटवर्क ध्वस्त नहीं कर सकी पुलिस, भूल गई मददगारों को

ग्वालियर। साढ़े चार साल से पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए चुनौती बने घुसपैठिए अहमद अलमक्की का सच अब भी सामने नहीं आ सका है। पुलिस उसकी जड़ों को खोदने से कतरा रही है।12 जून को पड़ाव थाने की निगरानी से फरार अलमक्की को हैदराबाद से पकडऩे के बाद केस की इंवेस्टीगेशन लचर हो गई है, इसलिए घुसपैठिए को फरार करने में शामिल शिवपुरी निवासी इस्माइल और हैदराबाद में उसे फर्जी रोहिंग्या शरणार्थी बनाने की कोशिश करने वाले इस्माइल को नहीं पकड़ा गया है। वहीं सनसनीखेज मामले की केस डायरी को लेकर भी पुलिस उलझन में है, इससे जाहिर है कि घुसपैठिए का नेटवर्क खंगालने की कोशिश थम चुकी है, सिर्फ उसे जेल भेजकर पुलिस राहत में है।

25 जून को घुसपैठिए अलमक्की को हैदराबाद से दबोचकर लाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने खुलासा किया था कि उसे फरार करने में इंदौर में सनसनीखेज अपहरणकांड के दो आरोपी इदरीश और इस्माइल शामिल थे। इनमें इदरीश तो पकड़ा गया है, इस्माइल को पकडऩा बाकी है।
 

इसके अलावा हैदराबाद में भी इस्माइल नाम के ही मददगार ने अलमक्की को पनाह दी थी। उसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए वह रोहिंग्या शरणार्थी बनाने की फिराक में था, उसे भी पकड़ा जाएगा। लेकिन घुसपैठिए को जेल भेजने के करीब 80 दिन बाद भी उसके मददगार पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। आरोपियों को आखिरी बार कब तलाशा गया, पुलिस नहीं बता सकी है।
 

वारंटियों की तलाश, घुसपैठिए के मददगारों को भूले
पूरे प्रदेश में पुलिस वारंटियों को पकडऩे में जुटी है, इसके बावजूद घुसपैठिए अलमक्की के मददगार पुलिस के रडार से बाहर हैं। उम्मीद है कि वांटेड पकड़े गए तो उनसे अलमक्की और उससे जुड़े कुछ और खुलासे सामने आ सकते हैं। उसके मददगार इदरीश ने ही पकड़े जाने पर खुलासा किया था कि अलमक्की से उसकी दोस्ती जेल में हुई थी। नमाज के बहाने अलमक्की जेल में बंद पाकिस्तानी जासूस अब्बास से भी मिलता था। सऊदी अरब से आने वाला पैसा भी वही अलमक्की तक पहुंचाता था। इसी पैसे के बूते पर अलमक्की थाने में लैपटॉप और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था।
8 महीने में 10 खत, दूतावास चुप
जिला विशेष शाखा के मुताबिक 8 महीने पहले अलमक्की जेल से छूटा था तो सऊदी अरब और बांग्लादेश के दूतावास से संपर्क किया था। सऊदी अरब के दूतावास ने साफ जवाब दिया है कि वह उनका नागरिक नहीं है, जबकि बांग्लादेशी दूतावास को करीब 10 बार खत लिखा जा चुका है, वहां से कोई जवाब नहीं आता।

थाना करेगा केस की विवेचना
केस पड़ाव थाने का था, इसलिए मामले की जांच पड़ाव पुलिस कर रही है, वही केस के बारे में बता सकते हैं।
पंकज पांडेय, एएसपी क्राइम ब्रांच

 
जांच डायरी विवेचक के पास
पड़ाव थाने में कुछ दिन पहले ही पोस्टिंग हुई है, लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी की वजह से अलमक्की की केस डायरी नहीं देखी है। एसआइ प्रजापति के पास केस की जांच है, वहीं जानकारी दे सकते हैं।
संजू कामले, टीआइ पड़ाव थाना
 

केस डायरी टीआइ के पास
केस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि डायरी टीआइ के पास है, वहीं मामले की जांच कर रहे हैं। अलमक्की के मददगारों पर क्या कार्रवाई हुई, वही बता सकते हैं।
कमलेश प्रजापति, एसआइ पड़ाव थाना

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