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High Court: पति-पत्नी विवाद सुलझाने हाईकोर्ट की अनोखी पहल, शुरू हो रही ये नई व्यवस्था

High Court News: हाईकोर्ट पहुंचने वाले पति-पत्नी के विवादों को सुलझाने के लिए कोर्ट करने जा रहा नई व्यवस्था, वकीलों के साथ ही इन्हें सौंपी बड़ी जिम्मेदारी…

ग्वालियरSep 15, 2024 / 10:30 am

Sanjana Kumar

gwalior high court
Gwalior High Court: हाईकोर्ट (High Court) की युगल पीठ ने पति-पत्नी के विवाद को मध्यस्थता से खत्म करने की अनोखी पहल की है। एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता मुकदमेबाजी में ध्यान की तरह है, इससे शांति के साथ प्रकरण का निबटारा किया जा सकता है। इसीलिए ग्वालियर बैंच में सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है। इसे स्थापित करने की जिम्मेदारी अधिवक्ताओं को सौंपी गई है।
अधिवक्ता अपने-अपने समाजों के मध्यस्थता केंद्र खोलने की दिशा में कार्य करेंगे। इनके जरिए दाम्पत्य जीवन के छोटे-छोटे विवाद शुरुआत में खत्म हो सकते हैं। दतिया निवासी एक युवक ने अपनी पत्नी को घर बुलाने के लिए हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर की।
हाईकोर्ट (High Court) ने याचिका के तथ्यों को देखने के बाद पाया कि दोनों के विवाद को खत्म करने के लिए मध्यस्थता की जरूरत है। यदि मध्यस्थता की पहल हो जाती तो दोनों के बीच विवाद खत्म हो जाता। कोर्ट ने पत्नी को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने कहा कि इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) ने सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र की शुरुआत की है, जो सफलता पूर्वक चल रहा है। इस अवधारणा को कई स्थानों पर अपनाया गया है। इसकी जरूरत ग्वालियर बैंच में भी है। याचिका की सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

इन्हें करना होगा मध्यस्थता का तंत्र विकसित

– अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेड़कर, दीपेंद्र कुशवाह, पूरन कुलश्रेष्ठ, स्टेट बार काउंसिल के सदस्य जितेंद्र शर्मा, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव महेश गोयल, अधिवक्ता आरबीएस तोमर, डीपी सिंह को जिम्मेदारी दी गई है। यह मध्यस्थता का तंत्र विकसित करेंगे।
-वर्तमान में सिंधी समाज में मध्यस्थता केंद्र चल रहा है। यहां पर पारिवारिक विवादों को खत्म किया जा रहा है।

-समाज के बुजुर्ग या पंचों को मध्यस्थता केंद्र में शामिल किया जा सकता है, जो विवादों को सुनने के बाद सुलह की पहल करें।

पारिवारिक विवादों का दबाव आया कोर्ट के ऊपर

-छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी के बीच मन-मुटाव बढ़ रहा है। यह मन-मुटाव झगड़े का रूप ले रहा है। सामाजिक स्तर पर विवादों को खत्म नहीं किया जा रहा है। विवाद न्यायालयों तक पहुंच रहे हैं।
-कुटुंब न्यायालय में केसों की संख्या बढ़ी है। ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में नौ महीने में 2000 विवाद पहुंचे हैं।

-ग्रामीण क्षेत्र के केस जिला न्यायालय में जाते हैं। 664 केसों का निराकरण हुआ है। यदि एक पक्ष कुटुंब न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो उसकी अपील हाईकोर्ट पहुंचती है।
-ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में ग्वालियर-चंबल संभाग के आठ जिले और विदिशा जिला आता है। कुटुंब न्यायालय, जिला कोर्ट और हाईकोर्ट पर पति-पत्नी के विवादों के केस की संख्या बढ़ी है। जबकि ये केस मध्यस्थता केंद्र में खत्म हो सकते हैं।

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