ग्वालियर। कहते हैं कि कलयुग में सिर्फ हनुमान ही ऐसे देवता हैं, जो आपके कष्टों को दूर करेंगे। त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत तक धर्म की स्थापना और भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर रहने को कहा था। यही कारण है कि आज बजरंग बली के नाम मात्र लेने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हनुमान महाराज जी का ऐसा ही रूप हैं दंदरौआ सरकार, जिसे लोग डॉक्टर हनुमान के नाम से जानते हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर हम आपको उनसे रूबरू करा रहे हैं। ग्वालियर मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर और भिंड जिले में स्थित दंदरौआ सरकार पूरे देश में विख्यात हैं। यहां हनुमान जी को डॉ. हनुमान के नाम से जाना जाता है। यहां देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु रोज भगवान के दर्शन के लिए आते हैं और डॉ. हनुमान उनके सभी असाध्य रोगों का सटीक इलाज करते हैं। यह भी पढ़ें-महावीर स्वामी जयंती: ऐसे बने वर्धमान से महावीर, जानिए उनके अनुयायी क्यों कहलाए जैन नृत्य की मुद्रा में है दंदरौआ सरकार यहां हनुमान जी की जो मूर्ति है वो नृत्य की मुद्रा में है। यह देश की अकेली ऐसी मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी को नृत्य करते हुए दिखाया गया है। यह मूर्ति करीब 300 साल पुरानी है और यह दिव्य मूर्ति एक तालाब में मिली थी। यह भी पढ़ें-महावीर जयंती: 1200 साल से जैनधर्म का केन्द्र रहा है ये शहर, भक्तों का लगता है मेला भवूती से करते हैं इलाज डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है। यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं और हनुमान जी की भवूती से रोगों से मुक्ति पाते हैं। डॉ. हनुमान तो सभी प्रकार की बीमारियों के डॉक्टर हैं, लेकिन फोड़े, मुहंसे और त्वचा संबंधी रोगों के लिए हनुमान जी की भवूती कारगर इलाज है। यह भी पढ़ें-इस आलीशान महल में रहता है सिंधिया परिवार, सोने की नक्काशी के लिए मशहूर है महल ऐसे पड़ा नाम दंदरौआ दंदरौआ धाम के महंत रामदास जी महाराज बताते हैं कि प्रभु की मूर्ति लगभग 300 साल पूर्व यहां के एक तालाब से निकली थी, जिसे बाद में मिते बाबा नाक के एक संत ने यहां मंदिर में स्थापित करवाया। तब से मूर्ति की पूजा-अर्चना शुरू की गई। श्रद्धालुओं के विशेष रूप में फोड़ा, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां भी मंदिर की पांच परिक्रमा करने पर ठीक हो जाती हैं। श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दर्दहरौआ कहा जाने लगा, जो कि अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गया। यह भी पढ़ें-यह है मोहम्मद गौस का मकबरा, जिसकी पहचान हैं ये जालियां